धर्म-अध्यात्म

सावन शिवरात्रि पर बना दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
26 July 2022 3:40 AM GMT
सावन शिवरात्रि पर बना दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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आज देशभर में सावन शिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जारहा है। आज का दिन काफी खास है। क्योंकि आज शिव-गौरी योग भी बन रहा है। दरअसल सावन शिवरात्रि के साथ मंगला गौरी व्रत भी पड़ रहा है।

आज देशभर में सावन शिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जारहा है। आज का दिन काफी खास है। क्योंकि आज शिव-गौरी योग भी बन रहा है। दरअसल सावन शिवरात्रि के साथ मंगला गौरी व्रत भी पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास की चतुर्दशी तिथि तो मास शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस बार सावन माह में पड़ने के कारण इसे सावन शिवरात्रि कहा जाएगा। इस बार की सावन शिवरात्रि काफी खास है। क्योंकि कई सालों बाद शिव-पार्वती योग बन रहा है। ऐसे शुभ संयोग में माता पार्वती और शिवजी की पूजा करने का विशेष फल मिलेगा। जानिए सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि- 26 जुलाई की शाम को 6 बजकर 45 मिनट से लेकर 27 जुलाई को रात 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी।

पूजा अभिषेक करने का शुभ मुहूर्त- 26 जुलाई की शाम 07 बजकर 24 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक

अमृत काल - शाम 04 बजकर 53 मिनट से शाम 6 बजकर 41 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 03 बजकर 58 मिनट से 04 बजकर 46 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग - 25 जुलाई को सुबह 5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 26 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 14 मिनट तक

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह में पड़ने वाले हर एक मंगलवार के दिन माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस बार इस व्रत के साथ शिवरात्रि पड़ रही है। ऐसे में भगवान शिव का जलाभिषेक करने का दोगुना फल मिलेगा। माना जाता है कि सावन शिवरात्रि और मंगला गौरी व्रत का संयोग सालों बाद बन रहा है।

सावन शिवरात्रि की पूजन विधि

सावन शिवरात्रि के जिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे और सूखे वस्त्र धारण कर लें।

भगवान शिव और माता पार्वती का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।

भगवान शिव और माता पार्वती कू पूजा आरंभ करें।

शिवलिंग में जलाभिषेक करें। इसके साथ ही दूध, दही, शहद, चीनी आदि अर्पित कर दें।

इसके बाद गंगाजल अर्पित करें।

अब भगवान शिव को पुष्प, माला, बेलपत्र, धतूरा, शमी, आक का फूल, आदि अर्पित कर दें।

माता पार्वती को भी फूल आदि अर्पित कर दें।

शिवजी को सफेद चंदन और माता पार्वती को कुमकुम के साथ अक्षत चढ़ा दें।

भगवान शिव और माता पार्वती को मिठाई का भोग लगाएं।

इसके बाद थोड़ा सा जल अर्पित करें।

इसके बाद धूप-दीप जलाकर आरती कर लें।

अब भगवान शिव के मंत्र ॐ नम: शिवाय'। 'शिवाय नम:'। 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। आदि का जाप कर लें।

शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र आदि का पाठ कर लें।

अंत में भूलचूक के लिए माफी मांग कर शिव-पार्वती का आशीर्वाद लें।

अंत में सभी को प्रसाद बांट दें।

दिनभर फलाहारी व्रत रखें।

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