धर्म-अध्यात्म

होलिका दहन के बाद पांचवे दिन पर रंगपंचमी मनाई जाती है,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Kajal Dubey
18 March 2022 11:20 AM GMT
होलिका दहन के बाद पांचवे दिन पर रंगपंचमी मनाई जाती है,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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चैत्र मास की पंचमी तिथि तक होली का महापर्व मनाया जाता है. पांचवी तिथि यानि होलिका दहन के बाद पांचवे दिन पर रंगपंचमी मनाई जाती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र मास की पंचमी तिथि तक होली का महापर्व मनाया जाता है. पांचवी तिथि यानि होलिका दहन के बाद पांचवे दिन पर रंगपंचमी मनाई जाती है. होलिका दहन 17 मार्च होने के चलते इस साल रंगपंचमी 22 मार्च के दिन मनाई जाएगी. माना जाता है कि रंगपंचमी (Rang Panchami) के दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के संग होली खेली थी. इसी चलते इस इन भक्त राधा रानी और भगवान श्रीक़ृष्ण की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं, उन्हें गुलाल लगाते हैं और राधे-कृष्ण आरती गाते हैं.

वहीं, एक और पौराणिक कथा के अनुसार रंगपंचमी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि देवलोक में इसका आरंभ हुआ था. असल में कथा के अनुसार कामदेव से क्रोधित होकर महादेव ने उन्हें भस्म कर दिया था जिस चलते देवलोक को निराशा ने घेर लिया था. भोलेनाथ ने देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को जीवित कर दिया था जिसके बाद देवलोक में रंग-गुलाल उड़ाकर रंगपंचमी मनाई गई.
रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त 22 मार्च, मंगलवार सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 23 मार्च, बुधवार के दिन सुबह 4 बजकर 21 मिनट तक माना जा रहा है. इस शुभ मुहूर्त में ही रंगपंचमी मनाई जाएगी.
रंगपंचमी पूजा विधि
कहा जाता है कि रंगपंचमी के दिन स्वयं देवलोक से देवता धरती पर आकर रंग खेलते हैं. मान्यता है कि रंगपंचमी के दिन माता लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का भी पूजन होता है, सुबह स्नान करके मां लक्ष्मी को पूजा जाता है और कलश में रखे पानी को घर में छिड़का जाता है. इसके पश्चात नारियल पर सिंदूर लगाकर महादेव को अर्पित किया जाता है.
मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा रानी की आरती कर उन्हें पीला, मां लक्ष्मी को लाल और शनि देव को नीला रंग लगाया जाता है.


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