धर्म-अध्यात्म

रामचरित मानस: इन मंदिरों में आज भी मौजूद हैं भगवान राम की ये निशानियां, ऐसी हैं मान्यताएं

Deepa Sahu
19 April 2021 12:13 PM GMT
रामचरित मानस: इन मंदिरों में आज भी मौजूद हैं भगवान राम की ये निशानियां, ऐसी हैं मान्यताएं
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रामचरित मानस

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: पूरे देश में 21 अप्रैल दिन बुधवार को रामनवमी का त्योहार मनाया जाएगा। रामचरित मानस के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या में भगवान राम का प्राकट्य हुआ था। जगत कल्याण के लिए त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और माता लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। आज भी रामायण कालीन के कलयुग में कई ऐसे स्थान हैं, जिनका सीधा संबंध भगवान राम से जुड़ा हुआ है। जहां भगवान राम ने अपने दिन गुजारे थे। आइए देखते हैं आज वो जगह कैसी हैं और इनको लेकर क्या मान्यताएं जुड़ी हुई हैं…

रामलला, अयोध्या
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी। राम का जन्म रामकोट में हुआ था, जो अयोध्या का दक्षिण भाग है। वर्तमान समय में अयोध्या उत्तरप्रदेश में है। यहां आज भी कई ऐसे स्थान मिलते हैं, जिनका सीधा संबंध भगवान राम से जुड़ा है। भगवान राम के जन्म स्थान पर अब यहां राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है।
जानकी मंदिर, जनकपुर
जनकपुर वह स्थान है, जहां माता सीता का जन्म हुआ था और यहीं पर भगवान राम का माता सीता के साथ विवाह भी हुआ था। जनकपुर के मंदिर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के भक्तजन दर्शन करते हैं। जनकपुर के आसपास के गांव के लोग विवाह के अवसर पर जनकपुर मंदिर से सिंदूर लेकर आते हैं और उससे दुल्हन की मांग में भरी जाती है। मान्यता जुड़ी हुई है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है और भगवान राम और माता सीता का आशीर्वाद भी मिलता है। वर्तमान में यह जगह नेपाल की राजधानी काठमांडू के दक्षिण पूर्व में स्थित है।
अहिल्या स्थान
बिहार के दरभंगा जिल में अहियारी गांव स्थित है, जो अहिल्या स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। अहिल्या स्थान में एक मंदिर है, जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम ने गौतम श्रृषि की पत्नी माता अहिल्या का उद्धार किया था। इसी मंदिर के पास भोजपुर स्थान है, जहां भगवान राम ने ताड़का का वध किया था। रामनवमी के मौके पर अहिल्या स्थान में अनोखी परंपरा देखने को मिलती है, यहां श्रद्धालु सुबह बैंगन का भार लेकर मंदिर पहुंचते हैं और उसे राम और अहिल्या के चरणों में बैंगन का भार चढ़ाते हैं। मंदिर के प्रांगण में ही भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में एक कथा भी मिलती है। बताया जाता है कि जब अहिल्या देवी के लिए मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है, तब देवी अहिल्या ने राजा छत्र सिंह को सपना दिया था कि जिन्होंने मेरा उद्धार किया, उनका ही मंदिर यहां बनाया जाए। तब मंदिर के प्रांगण भगवान राम का मंदिर बनाया गया।
चित्रकूट के राम मंदिर
भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर भगवान राम और भरतजी मिलने आए थे और तब उन्होंने दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और घर लौटने का अनुरोध किया था। चित्रकूट में आज भी भगवान राम और माता सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। यह स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां भगवान राम के कई मंदिर स्थित हैं। यहां पर जानकी कुंड भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि माता सीता इसी कुंड में स्नान करती थीं। यहां पर एक शिला रखी हुई है, जहां माता सीता के पैरों के निशान बने हुए हैं। चित्रकुट से लगभग चार किमी की दूरी पर सती अनुसूइया और महर्षि अत्रि का आश्रम स्थित है। यहीं पर माता सीता को अनुसूइया ने कभी न गंदे होने वाले वस्त्र और जेवर दिए थे। चित्रकुट के पग-पग पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के पैरों के निशान हैं।
श्रीसीता रामचंद्र स्वामी मंदिर
भगवान राम और माता सीता का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित है। कथा के अनुसार, भगवान राम जब माता सीता को बचाने के लिए लंका गए तब गोदावरी नदी को पार करके इस स्थान पर रुके थे। मंदिर गोदावरी नदी के तट पर उसी जगह बनाया गया है, जहां से भगवान राम ने नदी को पार किया था। भ्रदाचल से कुछ किमी दूर भगवान राम एक पर्णकुटी बनाकर रहे थे, आज इस स्थान को पर्णशाला के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक शिलाखंड भी है, जिसके बारे में बताया जाता है कि सीताजी ने वनवास के दौरान यहीं पर वस्त्र सुखाए थे। यह मंदिर रामभक्त कंचली गोपन्न नामक एक तहसीलदार ने बनवाया था। मंदिर बनवाने के कारण इनको सभी रामदास कहने लगे और यही कबीर के आध्यात्मिक गुरु थे।
रामेश्वर
रामेश्वर वही जगह है, जहां से हनुमानजी की सेना ने लंकापति रावण तक पहुंचने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था। इसके अलावा सीता की वापसी के लिए भगवान राम ने शिव की अराधना की थी। वर्तमान समय में यह स्थान रामेश्वर दक्षिण भारत के तमिलनाडु में है और जहां भगवान राम ने शिव की पूजा की थी, वहां एक विशाल मंदिर बना हुआ है। इस सेतु को भारत में रामसेतु व दुनिया में एडम्स ब्रिज अर्थात आदम का पुल के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रे को एक-दूसरे से अलग करता है।
पंचवटी राम मंदिर
त्रेतायुग में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास का कुछ समय पंचवटी बिताया था, जो आज नासिक में है। आज वहां राम का मंदिर बना हुआ है। नासिक में गोदावरी के तट पर पांच वृक्षों के स्थान को पंचवटी कहा जाता है। यहीं पर सीता की गुराफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष भी हैं। माना जाता है कि इन वृक्षों को राम और लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाम काटी थी और राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध भी यहीं किया था। यहां भगवान राम ने एक मंदिर बनाया था, जो आज खंडहर के रूप में विघमान है।


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