धर्म-अध्यात्म

इस्‍लामी कैलंडर का नवां महीना है रमदान, जानें कब से शुरू हो रहे हैं रोजे, क्यों रखते हैं रोजे?

Deepa Sahu
12 April 2021 11:32 AM GMT
इस्‍लामी कैलंडर का नवां महीना है रमदान, जानें कब से शुरू हो रहे हैं रोजे, क्यों रखते हैं रोजे?
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इस्‍लामी कैलंडर का नवां महीना है रमदान

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : रमदान या रमजान इस्‍लाम‍िक कैलंडर का नवां महीना होता है। रमदान की तारीख इस्‍लाम‍िक कैलंडर के अनुसार अमावस्‍या के द‍िन तय की जाती है। इस बार रमदान की तारीख को लेकर भारत में 13 या 14 अप्रैल की तारीख का कयास लगाया जा रहा है। आइए जानते हैं क‍ि रोजे कब से शुरू हो रहे हैं और क्‍यों रखते हैं रोजे?

इस द‍िन रखा जाएगा पहला रोजा
मान्‍यताओं के अनुसार चांद की तस्‍दीक होने के बाद अगले द‍िन से रोजा रखा जाता है। इस तरह अगर चांद 12 अप्रैल को द‍िखा तो पहला रोजा 13 अप्रैल को रखा जाएगा। वहीं 13 अप्रैल को चांद द‍िखा तो रोजेदार पहला रोजा 14 अप्रैल को रखेंगे। इस्लाम धर्म में रमजान में रोजे रखने का प्रचलन काफी पुराना है इस्लामिक धर्म की मान्यताओं के अनुसार मोहम्मद साहब (इस्लामिक पैगंबर) को वर्ष 610 ईसवी में जब इस्लाम की पवित्र किताब कुरान शरीफ का ज्ञान हुआ तो तब से ही रमजान महीने को इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र माह के रूप में मनाया जाने लगा।
इसल‍िए रखे जाते हैं रोजे
रोजेदार बताते हैं इस्लाम धर्म के लिए इस महीने के पवित्र होने का एक मुख्य वजह भी है कुरान के मुताबिक पैगंबर साहब को अल्लाह ने अपने दूत के रूप में चुना था। इसल‍िए यह महीना मुस्लिम समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेष एवं पवित्र होता है। इसमें सभी को रोजे रखना अनिवार्य माना गया है।
खुद पर संयम रखने का महीना है रमजान
इस्लाम‍िक मान्यताओं के मुताबिक रमजान के महीने में रोजे रखकर दुनिया में रह रहे गरीबों के दुख दर्द को महसूस किया जाता है। रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना क्योंकि रोजे के दौरान बुरा न सुनना, बुरा न देखना, न बुरा बोलना और ना ही बुरा एहसास किया जाता है। इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ बुरी आदतों को छोड़ने के साथ ही आत्म संयम रखना भी सिखाते हैं।


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