धर्म-अध्यात्म

अनंत चतुर्दशी पर हाथ पर बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र, परेशानी से मिलेगी मुक्ति

Subhi
9 Sep 2022 4:59 AM GMT
अनंत चतुर्दशी पर हाथ पर बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र, परेशानी से मिलेगी मुक्ति
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हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी तिथि का काफी अधिक महत्व है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधिवत से पूजा अर्चना करने का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से गणेश उत्सव का भी समापन हो जाता है।

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी तिथि का काफी अधिक महत्व है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधिवत से पूजा अर्चना करने का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से गणेश उत्सव का भी समापन हो जाता है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने से दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पूजा पाठ के बाद 14 गांठ वाला रक्षा सूत्र बांधने का भी विधान है। जानिए कैसे बांधे रक्षासूत्र।

अनंत चतुर्दशी 2022 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 08 सितंबर 2022, गुरुवार को रात 09 बजकर 02 मिनट पर शुरू हो रही है जो 09 सितंबर 2022, शुक्रवार को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथि के आधार पर अनंत चतुर्दशी इस साल 09 सितंबर को मनाई जाएगी।

क्यों बांधी जाती है 14 गांठ?

रेशम की डोर से बनी ये 14 गांठ व्यक्ति को हर भय से मुक्ति दिलाती है। इसके साथ ही उसकी रक्षा करती है। जो भी व्यक्ति विधिवत पूजा करने के बाद इस चौदह गांठ को बांधता है उसके ऊपर हमेशा भगवान विष्णु की कृपा रहती है। बता दें कि यह 14 गांठ 14 लोकों से संबंधित है। 14 लोग इस प्रकार है-भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक)।

अनंत सूत्र धारण करने के नियम

अग्नि पुराण के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा रें। इसके साथ ही एक रेशम के धागे को लेकर हल्दी और केसर से रंग लें। इसके बाद इसमें एक-एक करके 14 गांठ लगा दें। फिर भगवान विष्णु को अ4पित करते हुए इस मंत्र को बोले- ऊँ अनंताय नमः

इसके बाद भगवान से कामना करें कि इस धागे में अपनी शक्ति प्रदान करें। पूजा समाप्त होने के बाद इस सूत्र को महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में बांध लें।


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