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22 अगस्त को है Raksha Bandhan, जाने इसकी प्रचलित कहानी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सावन का पावन महीना चल रहा है. इसी महीने की पूर्णिमा तिथि पर हर साल रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे अपनी रक्षा और जीवनभर सुख दुख में साथ निभाने का वचन लेती हैं और भाई की दीर्घायु की कामना करती है. राखी का ये त्योहार पूर्णिमा पर होने की वजह से इसे कुछ जगहों पर राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस बार रक्षा बंधन 22 अगस्त को है. इस मौके पर आपको बताते हैं कि कैसे शुरू हुई थी रक्षा बंधन पर राखी बांधने की परंपरा.
राखी बांधने की परंपरा को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. एक धार्मिक मान्यता है कि यमराज की बहन यमुना ने श्रावण पूर्णिमा के दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी. इसके बदले में यमराज ने यमुना को अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बहन अपने भाई को राखी बांधती है और बदले में भाई उसे कुछ उपहार देता है.
श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी
रक्षाबंधन की एक कथा द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिए अपना चक्र चलाया तो उनका हाथ घायल हो गया था और खून बह रहा था. तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था, जिससे श्रीकृष्ण के हाथ से खून आना बंद हो गया. इसके बाद से भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार लिया था और सदैव उनकी रक्षा करने का वचन उन्हें दिया था.
हुमायूं की कहानी भी है प्रचलित
एक अन्य मान्यता के अनुसार रक्षा बंधन को लेकर हुमायूं की कहानी भी प्रचलित है. हजारों वर्ष पहले जब राजपूतों और मुस्लिमों में संघर्ष चल रहा था, तब चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने हमला कर दिया था. उस समय राणा सांगा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी व अपने राज्य की सुरक्षा के लिए हुमायूं से मदद मांगी थी और उन्हें एक धागा भेजा था. उस समय हुमायूं ने कर्णावती को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था और धागे को कलाई पर बांधकर कर्णावती और उनके राज्य की रक्षा करने अपनी फौज के साथ निकल पड़े थे.
लेकिन जब तक हुमायूं चितौड़ पहुंचे, तब तक काफी देर हो चुकी थी. रानी कर्णावती ने जौहर लिया था और सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया था. इससे हुमायूं बहुत आक्रोशित हुआ और उसने चितौड़ पर हमला बोल दिया. इसके बाद बहादुर शाह और हुमायूं के बीच युद्ध हुआ जिसमें हुमायूं ने बहादुर शाह को हरा दिया और चित्तौड़ की गद्दी उससे वापस लेकर कर्णावती के बेटे को सौंप दी. तब से कलाई पर बांधे धागे को रक्षासूत्र मानकर बांधा जाने लगा और रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई.