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Raksha Bandhan : इस दिन भद्रा नहीं रहेगी, जानिए रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाई-बहन के आपसी प्रेम में प्रगाढ़ता लाने वाला पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा। इसी दिन देवताओं, ऋषिओं और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ती है। सुबह से ही पुरोहित अपने यजमानों की सब प्रकार से रक्षा के लिए कलाई में रक्षासूत्र बांधते है। इससे यजमान का कल्याण भी होता है और गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वहन होते हुए आपसी प्रेम भी बढ़ता है। अपनी-अपनी शाखा में बताई हुए विधि के अनुसार ऋषियों का पूजन करने का ही विधान है। इसीदिन प्राणी नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान के बाद दान-पुण्य करके ईष्टकार्य सिद्ध कर सकते हैं।
पूरे दिन भद्रा नहीं रहेगी
इस दिन रक्षाबंधन में अति अशुभ कही जाने वाली शनिदेव की बहन भद्रा दिनभर नहीं रहेगी इसलिए शायं 04 बजकर 30 मिनट पर राहुकालके आरम्भ होने से पहले पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, इसमें भी दोपहर 12 बजे से 01 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। इस दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस बार भद्राकाल का भय भी नही रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा। बहनों अथवा यजमानो को राखी बांधते समय ये मंत्र- 'येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। पढ़ना चाहिए। माथे पर तिलक करने और राखी बांधने के बाद भाई को मिष्ठान आदि भी खिलाना चाहिए जिसके बदले बहनों को भाई महंगे उपहार देकर आजीवन उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
हुमायूं और कर्णवती की कथा
वैसे तो श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही है किन्तु इस दिन मुगल काल में हुमायूं और महारानी कर्णवती की राखी का जिक्र सबकी जुबान पर होता है। इस दिन लाल कपड़े के एक भाग में सरसों तथा अक्षत रखकर उसे लाल धागे से बांधकर शुद्ध पात्र में रखकर भगवान विष्णु की प्रतिष्ठा करें। फिर षोडशोपचार विधि से पूजा कर उसे कलाई में बांधे और अपने घर के मुख्य द्वार पर भी बांधे इससे आपकी और आप के परिवार की रक्षा होगी तथा कोई भी बिघ्न-बाधा नहीं साताएगी। रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा के लिए राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।