धर्म-अध्यात्म

सवाल- जवाब: कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होने पर मन में आते हैं ऐसे विचार

Deepa Sahu
13 July 2021 3:19 PM GMT
सवाल- जवाब: कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होने पर मन में आते हैं ऐसे विचार
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यदि भाइयों से मनमुटाव रहता हो, दोस्त दुश्मनों की तरह व्यवहार करते हों,

यदि भाइयों से मनमुटाव रहता हो, दोस्त दुश्मनों की तरह व्यवहार करते हों, शरीर में आलस्य रहता हो, दिन में कामुक विचार परेशान करते हों, हथियार रखने की इच्छा होती हो, अपराधी नायक की तरह प्रतीत होते हों अथवा अच्छे लगते हों, बात बात में खून खौल उठता हो या बहुत सारे यौन संबंधों से जुड़ने का मन करता हो, तो यह स्थिति कुंडली में मंगल की खराब स्थिति को दर्शाते हैं। ऐसे लोगों को प्रेम विवाह से पहले अपने फैसले पर गहन विचार अवश्य कर लेना चाहिए।

आपके नाम के प्रथम अक्षर में छिपा है आपका भविष्य (ट)
ट नाम के लोगों ये बेहद होशियार लोगों में गिने जाते हैं। ये आदर्शवादी होते हैं इनकी बौद्धिक क्षमता कमाल की होती है और आत्मविश्वास बेमिसाल। अपने दम पर ये कठिन से कठिन उलझनों को सुलझाने का सामर्थ्य रखते हैं। इनकी तार्किकता अद्‌भुत होती है। ये अपनी बात स्वयं तक रखने में पारंगत होते हैं, पर दूसरों के पेट से सारी बात निकाल लेते हैं। ये अपनी आंतरिक प्रतिभा से अपार धन अर्जित करते हैं। स्वभाव से ये विनम्र और मृदुभाषी होते हैं। यौन संबंधों के प्रति उदासीन होते हैं। प्रशासन, क़ानून, जनसंप्रेषण और पत्रकारिता में ये ऊंचा मक़ाम हासिल करते हैं। ये प्रेम में सामान्य रूप से असफल होते हैं, पर तभी सफल हो पाते हैं जब इनका पार्टनर संबंधों के प्रति बेहद सक्रिय हो। भाव की अभिव्यक्ति के मामले में ये फिसड्डी होते हैं। ये दूसरों के गम में शरीक तो होते हैं, पर अपने दर्द को ये लोग साझा करने से बचते हैं।
प्रश्न: ज्योतिष में क्रूर, पाप व शुभ ग्रह कौन कौन से हैं? इनका मानव देह पर क्या असर होता है? – रमेश सेठ
उत्तर: ज्योतिष में सूर्य-मंगल क्रूर ग्रह तथा शनि, राहु व केतु पाप ग्रह माने जाते हैं। सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि बृहस्पति, शुक्र, बुध शुभ ग्रह माने जाते हैं। पूर्ण चंद्रमा शुभ कहा गया है। मगर कृष्ण पक्ष की तरफ बढ़ता चंद्रमा पापी हो जाता है। सूर्य हमारे नेत्र, सिर और हृदय पर असर डालता है। मंगल पित्त, रक्त, कान, नाक पर और शनि हड्डियों, मस्तिष्क, पैर-पिंडलियों पर प्रभाव रखता है। राहु-केतु का स्वतंत्र नियंत्रण नहीं होता है। वे जिस राशि में या जिस ग्रह के साथ बैठते हैं, उसके प्रभाव को बढ़ाते हैं। चंद्रमा छाती, फेफड़े व नेत्रज्योति पर अपना प्रभुत्व रखता है। बृहस्पति शरीर में चर्बी, गुर्दे, व पाचन को प्रभावित करता है। शुक्र वीर्य, नेत्र व काम को काबू में रखता है। बुध का वर्चस्व वाणी पर होता है।
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अगर, आप भी सद्गुरु स्वामी आनंद जी से अपने सवालों के जवाब जानना चाहते हैं या किसी समस्‍या का समाधान चाहते हैं तो अपनी जन्‍मतिथ‍ि, जन्‍म समय और जन्‍म स्‍थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं।
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