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लोहे की अंगूठी : ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति का लोगों के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि खराब स्थिति में है या शनिदेव नाराज हैं तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। ज्योतिषशास्त्र इन ग्रहों को शांत करने और उन्हें मजबूत स्थिति में लाने के लिए कई उपाय सुझाता है। इसका उपाय यह है कि आप अपनी उंगलियों में आभूषण पहनें। कुछ लोग गहनों की जगह इसी ग्रह की अंगूठियां पहनते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्योतिष में शनि की स्थिति को मजबूत करने के लिए लोग अक्सर अपने हाथों में लोहे का छल्ला पहनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हें पहनने के भी नियम होते हैं तो जानिये लोहे के छल्ले के बारे में सबकुछ :
लोहे की अंगूठी किस उंगली में पहनें : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली में शनि और राहु-केतु का खराब योग हो तो हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला पहनना चाहिए। शनि मध्यमा उंगली और उसके नीचे के क्षेत्र पर शासन करता है, इसलिए इसे केवल मध्यमा उंगली में ही पहना जाता है।
लोहे का छल्ला किस दिन पहनें : लोहे का छल्ला हमेशा शनिवार के दिन पहनना चाहिए। इसके अलावा रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी लोहे का छल्ला पहना जा सकता है।
लोहे की अंगूठी पहनने के तरीके : शनिवार के दिन स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। अब शनिदेव के मंत्र का जाप करते हुए इसे धारण करें। पुरुषों को अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में और महिलाओं को अपने बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी पहननी चाहिए।
लोहे का छल्ला पहनते समय सावधान रहें : लोहे का छल्ला पहनने के बाद जब आपके ऊपर से बाधा हट जाती है। इस छल्ले को बहते जल में प्रवाहित कर दें। जब तक शनि या राहु-केतु आपको पीड़ित कर रहे हैं, तब तक आप जिस उंगली में लोहे की अंगूठी पहन रहे हैं, उस उंगली में किसी अन्य धातु की अंगूठी न पहनें।ध्यान रखें कि कभी भी किसी दूसरे का उतारा हुआ लोहे का छल्ला न पहनें। उस पर कोई असर नहीं पड़ता।