धर्म-अध्यात्म

इन 8 राशियों के लिए लाभ व सफलता, कुंभ में बृहस्पति का अस्त होना

Ritisha Jaiswal
17 Jan 2022 3:40 PM GMT
इन 8 राशियों के लिए लाभ व सफलता, कुंभ में बृहस्पति का अस्त होना
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गुरु यानी बृहस्पति कुम्भ राशि में 19 फरवरी 2022 शनिवार को 10:23 बजे अस्त होंगे और कुम्भ राशि में ही 20 मार्च 2022 रविवार को 7 बजकर 50 मिनट पर उदय होंगे

गुरु यानी बृहस्पति कुम्भ राशि में 19 फरवरी 2022 शनिवार को 10:23 बजे अस्त होंगे और कुम्भ राशि में ही 20 मार्च 2022 रविवार को 7 बजकर 50 मिनट पर उदय होंगे। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, गुरु ग्रह 20 नवंबर 2021 की रात 11.17 पर धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में गोचर करते हुए कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। अब गुरु कुंभ राशि में दिसंबर 2022 तक रहेंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, गुरु एक राशि में लगभग 13 माह तक गोचर करते हैं । देवगुर बृहस्पति लगभग 12 वर्षों में सभी बारह राशियों का भ्रमण पूर्ण करते हैं। यानी इस साल गुरु जिस राशि में हैं, उस राशि में लौटने पर अब करीब 12 वर्षों का समय लगेगा। कुंभ राशि प्रवेश के साथ ही शनि गुरु का युति संबंध भंग हो चुका है। गुरु का कुंभ राशि में प्रवेश के समय सर्वार्थसिद्धि योग भी बना था।

गुरु का राशि परिवर्तन का असर 2022:
8 राशियों को मिलेगा शुभ फल : गुरु ग्रह का ये 2022 में यह परिवर्तन 8 राशियों यथा - मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि के लिए शुभ रहने वाला है। इन राशियों के जातकों को गुरु के प्रभाव से अधिकांश कार्यों में सफलता, बिजनेस में लाभ, करियर में तरक्की के योग बनेंगे। इस साल इन राशियों पर गुरु की कृपा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त रहेगा।
4 राशियों को अशुभ फल का अनुमान-
वहीं गुरु की यह चाल तीन राशियों कन्या, वृश्चिक और मीन राशि के लिए अशुभ फल देने वाली रहेगी। जिन राशियों में गुरु नीच के हैं उन्हें विवाद, दुश्मनी और व्यापार में घाटा देखने को मिल सकता है। इसके अलावा कर्क राशि के लिए ये गुरु के कुंभ राशि में होने मिश्रित फल देने वाला रहेगा। यानी इस राशि के जातकों चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी से ही कोई कदम बढ़ाना होगा।
सत्तारूढ़ दलों की बढ़ सकती हैं परेशानियां-
गुरु का राशि परिवर्तन सभी राशियों के जातकों के लिए महत्वपू्रण माना गया है। गुरु धर्म, अध्यात्म का प्रमुख ग्रह है। गुरु के कुंभ राशि में प्रवेश से रोगों का प्रभाव कम होगा। राजनेताओं में वैमनस्यता का भाव बढ़ सकता है। कहीं-कहीं अकाल की स्थितियां भी निर्मित हो सकती हैं। गुरु शनि की नीच राशि मकर से शनि की ही राशि कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं। यह परिवर्तन सत्तारूढ़ सरकारों की परेशानियां बढ़ाने वाला हो सकता है। "


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