धर्म-अध्यात्म

इस तरह करें माता के आगमन की तैयारी, घर आएगी सुख-समृद्धि

Subhi
17 Sep 2022 4:07 AM GMT
इस तरह करें माता के आगमन की तैयारी, घर आएगी सुख-समृद्धि
x
हर वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ होती है। इस वर्ष 26 सितम्बर, सोमवार को मां अदिशक्ति अपने भक्तों के घर पधारेंगी। शास्त्रों के अनुसार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों कि नौ दिन विधिवत पूजा-अर्चना कि जाती है।

हर वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ होती है। इस वर्ष 26 सितम्बर, सोमवार को मां अदिशक्ति अपने भक्तों के घर पधारेंगी। शास्त्रों के अनुसार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों कि नौ दिन विधिवत पूजा-अर्चना कि जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है और मां दुर्गा से उज्वल भविष्य की और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान कुछ नियमों का पालन करने से व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं किन बातों को ध्यान में रखने से होती है भक्तों की सभी मनोकामना पूरी।

पूजा के समय दिशा का रखें खास ध्यान (Navratri Vastu tips)

नवरात्रि पर्व के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के समय आपका मुंह उत्तर दिशा में हो। इस दिशा में ग्रहों के राजा सूर्यदेव विराजमान हैं। इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में पूजा करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है।

मुख्य द्वार पर स्वस्तिक चिन्ह है अनिवार्य

नवरात्रि पर्व के दौरान नौ दिनों तक मुख्यद्वार पर स्वस्तिक चिन्ह अवश्य लगाएं। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं। स्वस्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें हल्दी और चूने का इस्तेमाल ही हो और द्वार के दोनों तरफ यह बना हुआ हो। इनके साथ आप आम के पत्तों का तोरण भी लगाएं। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।

पूजा स्थल पर इन बातों का रखें ध्यान (Navratri Puja 2022 tips)

माता के आगमन के स्वागत के लिए आप पूजा स्थल को लाल रंग के फूलों से सजा सकते हैं और पूजा में भी इसी रंग के फूल, वस्त्र, रोली, चुनरी का प्रयोग करें। लाल रंग माता को अतिप्रिय है और इसके इस्तेमाल से मां प्रसन्न होती हैं। इसके साथ कलश स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्रतिमा और कलश इशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा को देवताओं का स्थान माना जाता है।

Next Story