- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- प्रार्थना मनुष्य को...
विनोद कुमार यादव। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'साइंस एडवांसेज' की एक रिसर्च रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकल कर आया कि जो लोग आस्तिक होते हैं, प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं, वे अपनी तकलीफों से बेहतर ढंग से निपटने में समर्थ होते हैं। कोविड महामारी के दौरान अमेरिका व इंग्लैंड के अस्पतालों में बड़े पैमाने पर हुए एक सर्वेक्षण से पता चला कि आस्तिक मुसीबतों का धैर्यपूर्वक सामना करते हैं और जल्दी उससे उबर भी जाते हैं। आस्था उनकी इच्छाशक्ति को मजबूती देती है। निष्ठापूर्वक की गई प्रार्थना से आत्मविश्वास जागता है। इससे व्यक्ति के मन में छाई निराशा दूर होने लगती है। जीवन में आए व्यवधान हटने लगते हैं। मशहूर मनोविश्लेषक नॉर्मन विंसेंट पील कहते हैं, 'रचनात्मक प्रार्थना हमें ऐसी अंतर्दृष्टि देती है, जिसके सकारात्मक परिणाम न सिर्फ हमारी बैलेंस शीट पर दिखते हैं बल्कि हममें आत्मविश्वास और आत्मबल की नई भावना भी जगाते हैं।'