धर्म-अध्यात्म

आज दो शुभ योगों एवं शिवरात्रि के संयोग के साथ होगा प्रदोष व्रत, जानिए महत्व

Triveni
21 Dec 2022 8:48 AM GMT
आज दो शुभ योगों एवं शिवरात्रि के संयोग के साथ होगा प्रदोष व्रत, जानिए महत्व
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फाइल फोटो 

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया जाता है.

जनता से रिश्ता वबेडेस्क | सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया जाता है. प्रत्येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार साल का आखिरी प्रदोष आज पड़ रहा है, जिसे बहुत खास बताया जा रहा है, क्योंकि इस दिन प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है. ये दोनों तिथियां भगवान शिव को समर्पित होती हैं. इसके साथ-साथ इस दिन दो विशेष योग भी निर्मित हो रहे हैं. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस दिन भगवान शिव का व्रत-अनुष्ठान करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे सारे संकट दूर होते हैं और निसंतानों को संतान प्राप्त होता है. आइये जानते हैं इस प्रदोष तिथि, इसके शुभ योगों, महत्व, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में. यह भी पढ़ें: Solar Eclipse and Lunar Eclipse in 2023: नये वर्ष में कब और कहां-कहां दिखेगा सूर्य एवं चंद्र ग्रहण? देखिये पूरी सूची!

बुध प्रदोष व्रत का महत्व
साल का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर, 2022 बुधवार को पड़ रहा है. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा कर उनका आशीर्वाद पाया जा सकता है. किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. यह व्रत करके जीवन में धन की वृद्धि की जा सकती है. इससे सभी प्रकार के रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए मिट जाते हैं.
बुध प्रदोषः शुभ मुहूर्त एवं दो शुभ योगों का महत्व
बुध प्रदोष प्रारंभः 12.45 AM (21 दिसंबर, 2022, बुधवार) से
बुध प्रदोष समाप्तः 10.16 PM (21 दिसंबर, 2022, बुधवार) तक
उदया तिथि के अनुसारः बुध प्रदोष व्रत 21 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा.
इस बार बुध प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के दिन ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग मनाये जायेंगे. बता दें कि ये दोनों योग एक ही समय पर लग रहे हैं.
सर्वार्थ सिद्धि/अमृत सिद्धि योगः 08.33 AM से (21 दिसंबर 2022) से 06.33 AM (22 दिसंबर 2022) तक
मान्यता है कि पूजा-अनुष्ठान के लिए ये दोनों बहुत शुभ योग माने जाते हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा-पाठ का दुगना फल प्राप्त होता है, जबकि अमृत सिद्धि योग में व्रत एवं पूजा से अमृत समान फल प्राप्त होता है.
प्रदोष व्रत एवं अनुष्ठान के नियम
बुध प्रदोष के दिन व्रती को किसी भी तरह के नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन किसी से झगड़ा अथवा विवाद से बचें, साथ ही घर में तामसिक भोजन, तंबाकू और मदिरा आदि का सेवन किसी को भी नहीं करना चाहिए.
अब प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के वृद्ध परिजनों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें. अब तांबे के लोटे में जल एवं शक्कर मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. 27 हरी दूर्वा की पत्तियों को कलावे से बांधकर उसमें सिंदूर लगाएं, और इसे गणेश जी को अर्पित करें. अब शिवलिंग पर दूध, शक्कर, शुद्ध घी अर्पित करने के बाद गंगाजल से स्नान कराएं. गणेश जी को लाल फल एवं पुष्प तथा भगवान शिव को चावल की खीर का भोग लगाएं. अब भगवान शिव का ध्यान कर निम्न मंत्र का 108 जाप करें.
'ॐ नमः शिवाय'
भगवान शिव की पूजा सुबह और शाम प्रदोष काल में करें. ऐसा करने से नौकरी व्यापार में लाभ के साथ मन की हर इच्छा पूरी होती है. यहां तक कि निसंतान दंपत्ति को संतान लाभ भी प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत की कथा सुनें या सुनाएं. अब भगवान गणेश, शिवजी एवं माता पार्वती की आरती उतार कर प्रसाद का वितरण करें. पूरे दिन व्रत रखते हुए सूर्यास्त के पश्चात पुनः शिवजी की पूजा करें.

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