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Pradosh Vrat November 2024: नवंबर माह में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत

Bharti Sahu 2
22 Nov 2024 2:14 AM GMT
Pradosh Vrat November 2024:  नवंबर माह में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत
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Pradosh Vrat November 2024: नवंबर 2024 में मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि, प्रदोष व्रत की सही तिथि क्या है, इस दिन आपको किस विधि से पूजा करनी चाहिए और इस व्रत का क्या महत्व है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानि 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय पूजा का बड़ा महत्व है। शाम के समय में त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को ही है साथ ही उदया तिथि भी 28 को ही है। इसलिए मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत 28 नवंबर को ही रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत का पूजा मूहूर्त
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा शाम के समय की जाती है। 28 नवंबर के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भोलेनाथ की पूजा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों को शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और उनके पापों का नाश होता है। इस व्रत का पालन करने वाले भक्त को सुख-शांति और समृद्धि जीवन में मिलती है। साथ ही अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और व्यक्ति दीर्घायु रहता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में भी सुख समृद्धि आती है और संतान सुख प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें। तत्पश्चात भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। सुबह भगवान शिव की आरती करने के बाद आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। दिन भर निराहार रहने के बाद शाम के समय भगवान शिव की पूजा आपको करनी चाहिए। 28 नवंबर के प्रदोष काल का शुभ पूजा मुहूर्त हम आपको ऊपर बता चुके हैं।
शाम को पूजा के दौरान आपको शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र, शहद, धतूरा आदि अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद दीपक जलाकर आपको भगवान शिव की पूजा शुरू करनी चाहिए। शिव चालीसा का पाठ आप इस दौरान कर सकते हैं। साथ ही शिव जी के मंत्रों का जप भी आपको करना चाहिए। भोलेनात के मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का भी अगर आप इस दिन जप करते हैं तो उससे भी आपको शिव कृपा प्राप्त होती है। इसके बाद आपको प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए। अंत में आरती आपको करनी चाहिए। रात्रि के समय फलाहार करने के बाद, व्रत का पारण अगले दिन सुबह के समय आपको करना चाहिए।
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