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धर्म-अध्यात्म
Pradosh Vrat 2021 : इस दिन है साल 2021 का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें इसकी पूजा विधि
Rani Sahu
19 Dec 2021 4:28 PM GMT
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सनातन परंपरा में शिव की साधना अत्यंत ही कल्याणकारी मानी गई है
सनातन परंपरा में शिव की साधना अत्यंत ही कल्याणकारी मानी गई है. यही कारण है कि भगवान शिव के साधक उनकी और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से प्रदोष व्रत रखते हैं. इस साल का आखिरी प्रदोष व्रत 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार को पड़ने जा रहा है. एक महीने में दो बार कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को पड़ने वाला यह व्रत तमाम तरह के दु:खों को दूर करके सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाला है.
क्या होता है प्रदोष
किसी भी दिन के सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल को प्रदोष कहा जाता है. यही कारण है कि त्रयोदशी के दिन पड़ने वाले इस व्रत में प्रदोष काल में ही विशेष रूप से शिव की साधना की जाती है. मान्यता है कि प्रदोष काल में पूजा, जप, साधना आदि करने पर भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने साधक पर कृपा बरसाते हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन शिव के साधक को स्नान-ध्यान करने के बाद अपने हाथ में कुछ धन, पुष्प, आदि रखकर विधि-विधान से प्रदोष व्रत करने का संकल्प करना चाहिए. दिन में भगवान शिव के मंत्र जप आदि करते हुए सूर्यास्त के समय एक बार फिर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद भगवान शिव का षोडशोपचार तरीके से पूजन और प्रदोष व्रत की कथा सुनना या पढ़ना चाहिए. पूजा के बाद भगवान शिव का प्रसाद दूसरों को बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए.
प्रदोष व्रत करने के लाभ
भगवान शिव की कृपा दिलाने वाले प्रदोष व्रत का दिन के हिसाब से फल मिलता है. जैसे साल का आखिरी प्रदोष व्रत चूंकि शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत को करने पर साधक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. उसे जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रहता है और उसके परिवार में हमेशा सुख और समृद्धि कायम रहती है. इसी प्रकार रवि प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि, आजीवन आरोग्यता और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है तो वहीं भौम प्रदोष व्रत से रोग-शोक दूर होते हैं, बुध प्रदोष व्रत से कार्य कार्य विशेष में सफलता प्राप्त होती है. गुरु प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में आ रही सभी अड़चनें दूर होती हैं. जबकि वहीं शनि प्रदोष व्रत से संतान प्राप्ति और उसकी उन्नति होती है.
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