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धर्म-अध्यात्म
धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत, जानिए खरीदारी व पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व
Shiddhant Shriwas
31 Oct 2021 5:27 AM GMT
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह महीने में दो बार होता है। पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में आता है
कार्तिक महीने शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर, मंगलवार को है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। त्रयोदशी तिथि में धनतेरस और प्रदोष व्रत होने के कारण ये एक ही पड़ते हैं।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त-
भौम प्रदोष व्रत तिथि 2 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 3 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्योदय से पुष्कर व सिद्ध योग रहेगा।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त-
चर लग्न - सुबह 8.46 बजे से 10.10 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11.11 बजे से 11.56 बजे तक
अमृत मुहूर्त - दोपहर 11.33 बजे से 12.56 बजे तक
शुभ योग - दोपहर 2.20 बजे से 3.43 बजे तक
वृष लग्न - शाम 6.18 बजे से रात 8.14 बजे तक
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