धर्म-अध्यात्म

भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है,जानें व्रत का शुभ मुहूर्त,महत्व और पूजा विधि

Kajal Dubey
29 March 2022 2:53 AM GMT
भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है,जानें व्रत का शुभ मुहूर्त,महत्व और पूजा विधि
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के दोनों पक्षों की त्रियोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। - प्रदोष व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा की जाती है. ऐसे में कल चैत्र माह के कृष्णपक्ष की त्रियोदशी तिथि है.आज शिव भक्त प्रदोष व्रत रखेंगे. इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार (Tuesday) को पड़ा है जिस कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. आपको बता दें कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है. इस दिन विधि-विधान के साथ शिव जी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भोलेनाथ भक्तों के कष्ट दूर करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार त्रियोदशी तिथि पर भगवान शिव की कृपा बरसती है. चैत्र माह में पहला प्रदोष व्रत 29 मार्च 2022 (मंगलवार) यानी कल है. मंगलवार के दिन होने के कारण उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
त्रियोदशी तिथि प्रारंभ- 29 मार्च 2022 (मंगलवार) दोपहर 2.38 बजे से शुरू
त्रियोदशी तिथि समापित- 30 मार्च 2022 (बुधवार) दोपहर 1:19 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त- 29 मार्च 2022 (मंगलवार) शाम 6:37 बजे से रात 8:57 बजे तक
भौम प्रदोष का महत्व
प्रदोष व्रत का महत्व हफ्ते के दिनों के अनुसार अलग-अलग होता है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत और पूजा करने से उम्र बढ़ती है. साथ ही सेहत भी अच्छी रहती है. इस व्रत के प्रभाव से बीमारियां दूर हो जाती है. किसी भी तरह की शारीरिक परेशानी नहीं रहती. इस दिन भगवान शइव और माता पार्वती की पूजा करने से दाम्पत्य सुख बढ़ता है. मंगलवार को प्रदोष व्रत और पूजा करने से जीवन से परेशानियां दूर होने लगती हैं. भौम प्रदोष का व्रत कई तरह के दोषों को दूर करता है. इसे करने से तरक्की मिलती है. इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत में नियम और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करके भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद ​विधि-विधान से भगवान शइव और माता पार्वती की पूजा करें. शाम के समय प्रदोष काल में एक बार फिर स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से शिव जी का विशेष पूजन किया जाता है. प्रदोष व्रत की कथा सुनें और भगवान शिव की आरती उतारें. इस दिन रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप भी जरूर करें


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