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धर्म-अध्यात्म
प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन होगा, जानें विशिष्ट संयोग और पिजा विधि
Subhi
1 Dec 2021 3:08 AM GMT
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आशुतोष, औवढ़रदानी भगवान शिव का सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के दिन पूजन का विशेष विधान है। इस बार प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है।
आशुतोष, औवढ़रदानी भगवान शिव का सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के दिन पूजन का विशेष विधान है। इस बार प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है। इस माह प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का दोनों ही व्रत 02 दिसंबर को पड़ रहे हैं। इस दिन भगवान शिव का पूजन बहुत फलदायी है। विधि अनुसार प्रदोष का व्रत प्रत्येक हिंदी माह में दो बार पड़ता है, जबकि मासिक शिवरात्रि का पूजन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है ये विशिष्ट संयोग और इस दिन शिव पूजन के महत्व के बारे में....
क्या है विशिष्ट संयोग
मान्यता अनुसार प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है।हिंदी पंचांग के मार्गशीर्ष माह की त्रयोदशी तिथि 1 दिसंबर को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से शुरू हो कर 2 दिसंबर को रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसके बाद से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी जो कि 03 दिसंबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के नियमानुसार प्रदोष व्रत 02 दिसंबर दिन गुरूवार को रखा जाएगा। जबकि शिवरात्रि का पूजन रात्रि में होने के कारण इस माह की शिवरात्रि भी 02 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।
जानें इस दिन शिव पूजन का महत्व
प्रदोष व्रत और शिवरात्रि दोनों ही दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रखने और पूजन का विधान है। मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने निराकार से साकार रूप धारण किया था। इस दिन शिव और शक्ति के सम्मिलन का पर्व मानाया जाता है। शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती के पूजन से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष का व्रत और शिवरात्रि का पूजन एक साथ होने के कारण विशिष्ट फलदायी है। इस रात्रि जागरण कर शिव मंत्रों का जाप करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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