धर्म-अध्यात्म

प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि व्रत आज,जानें पूजा की विधि, मंत्र और मुहूर्त के बारे मे

Kajal Dubey
30 Jan 2022 1:22 AM GMT
प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि व्रत आज,जानें पूजा की विधि, मंत्र और मुहूर्त के बारे मे
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आज देशभर में शिवभक्त प्रदोष एवं मासिक शिवरात्रि का व्रत हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माघ माह (Magh Month) के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) आज 30 जनवरी दिन ​रविवार को है. आज देशभर में शिवभक्त प्रदोष एवं मासिक शिवरात्रि का व्रत हैं. आज एक व्रत को करने से दो व्रतों प्रदोष एवं मासिक शिवरात्रि का लाभ प्राप्त होगा. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में और शिवरात्रि की पूजा रात्रि प्रहर में होती है. इस व्रत को करने से सभी दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि के मुहूर्त (Muhurat), मंत्र (Mantra), पूजा विधि (Puja Vidhi) एवं कथा (Katha) के बारे में.

प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त

प्रदोष पूजा मुहूर्त: आज शाम 05:59 बजे से लेकर रात 08:37 बजे तक
मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त: आज रात 11:38 बजे से देर रात 12:52 बजे तक
पूजा मंत्र
शिव पूजा के लिए सबसे आसान एवं प्रभावशाली पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय है. इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत एवं शिवरात्रि पूजा के समय आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र का उच्चारण भी आप आसानी से कर सकते हैं.
व्रत एवं पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें. उसके बाद हाथ में जल, पुष्प एवं अक्षत् लेकर व्रत एवं शिव पूजा का संकल्प लें.
2. अब आप दैनिक पूजा कर लें. वैसे शिव पूजा के लिए कोई मुहूर्त नहीं होता है. आप चाहें तो प्रात:काल में भी प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि की पूजा कर सकते हैं.
3. प्रदोष व्रत या शिवरात्रि मुहूर्त को ध्यान में रखकर आप किसी शिव मंदिर या फिर घर पर ही शिवलिंग का गंगाजल एवं गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर सफेद चंदन, भभूत अर्पित करें.
4. इसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्ता, शहद, शक्कर, धूप, दीप, फल, फूल आदि अर्पित करें. फिर माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय एवं नंदी की पूजा करें.
5. अब शिव चालीसा, शिव स्तोत्र, प्रदोष व्रत कथा या शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें. उसके बाद अंत में विधिपूर्वक भगवान शिव की आरती करें. पूजा समापन के बाद शिव जी से अपनी मनोकामना व्यक्त करें और प्रसाद वितरण करें.
6. रात्रि के समय में भगवत जागरण करें. अगले दिन प्रात: शिव पूजा करने के बाद दान दें और पारण करके व्रत को पूरा करें.


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