धर्म-अध्यात्म

भगवान विष्णु ने क्यों लिया मोहिनी अवतार...जाने इसके पीछे का इतिहास

Subhi
20 May 2021 3:13 AM GMT
भगवान विष्णु ने क्यों लिया मोहिनी अवतार...जाने इसके पीछे का इतिहास
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हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की गयारवहीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है.

हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की गयारवहीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है. साल में 24 एकादशियां होती हैं. हर महीने की एकादशी का अलग नाम और अलग महत्व होता है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. इस बार मोहिनी एकादशी 23 मई 2021 को है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन एकादशी व्रत रखने से सभी दुखों का निवारण होता है और व्यक्ति सभी बंधन और मोह से छुटकारा पाता है. आइए जानते हैं भगवान विष्णु ने क्यों लिया मोहिनी रूप.

भगवान विष्णु ने क्यों लिया मोहिनी रूप
शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला तो देवताओं और राक्षसों में इस बात को लेकर विवाद होने लगा . सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से साहयता मांगी. अमृत कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया. इसके बाद सभी देवताओं ने अमृतपान किया. इस दिन वैशाख महीने की एकादशी तिथि थी इसलिए इसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस व्रत को भगवान राम और युधिष्ठिर ने रखा था.
पूजा का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ – 22 मई 2021 को शनिवार की सुबह 09 बजकर 15 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 23 मई 2021 को सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक
एकादशी पारणा का शुभ मुहूर्त – 24 मई सुबह 05 बजकर 26 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट रहेगा.
मोहिनी एकादाशी का महत्व
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मोहिनी रूप में पूजा जाता है. इस दिन भक्त सभी परनिंदा,लालच, द्वेष आदि की भावना को छोड़कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन सुबह- सुबह स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें. पूजा में तुलसी, फूलों, फलों और पंचामृत अर्पित करें. इस दिन भक्त फालाहर करते हैं और अगले दिन ब्राह्माणों को भोजन खिलाने के बाद स्वयं भोजन करते हैं.
मोहिनी एकादशी के दिन राम रक्षा स्त्रोक पाठ का जाप करें. इस दिन किसी से असत्य न बोलें, क्रोध न करें. व्रत के अगले दिन गरीब व्यक्ति को भोजन की सामग्री का दान करें.


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