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धर्म-अध्यात्म
मां शैलपुत्री को ऐसे करें प्रसन्न, दूर होंगे सारे संकट
Tara Tandi
9 April 2024 7:23 AM GMT
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ज्योतिष न्यूज़ : आज यानी 9 अप्रैल दिन मंगलवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। आज नवरात्रि का पहला दिन है जो कि मां शैलपुत्री की साधना आराधना को समर्पित होता है इस दिन भक्त देवी मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि इनकी आसाना जीवन के सारे दुखों को दूर कर देती है और खुशियां प्रदान करती है तो आज हम आपको शैलपुत्री की पूजा का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण विधि से अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मां शैलपुत्री पूजन का शुभ मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार कलश स्थापना हमेशा ही अभिजीत मुहूर्त में ही करनी चाहिए। आज अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है कलश स्थापना के लिए यह मुहूर्त शुभ माना जा रहा है इसके अलावा मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना के लिए भी यह मुहूर्त लाभकारी है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज कलश स्थापना के बाद माता के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को धूप, दीपक दिखाकर, अक्षत, सफेद पुष्प, सिंदूर, फल अर्पित करें इसके बाद देवी के मंत्रों का जाप कर कथा का पाठ जरूर करें। मां शैलपुत्री को दूध, घी से बनी चीजों का भोग लगाएं। फिर माता की आरती उतारें और हाथ जोड़कर अपनी भूल चूक के लिए क्षमा मांगे और देवी मां से सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां दुर्गा की आरती—
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा मूर्ति .
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को .
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥2॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥3॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी .
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥4॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती .
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥5॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू.
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥7॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी.
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥8॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती .
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥9॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै .
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥10॥
मां शैलपुत्री का मंत्र—
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
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Tara Tandi
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