धर्म-अध्यात्म

फाल्गुन पूर्णिमा पर इस उपाय से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, पाएं मनचाही सफलता

Khushboo Dhruw
25 March 2024 7:19 AM GMT
फाल्गुन पूर्णिमा पर इस उपाय से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, पाएं मनचाही सफलता
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नई दिल्ली : हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 मार्च को मनाई जा रही है। फाल्गुन पूर्णिमा जिसे होली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। फाल्गुन पूर्णिमा को होली का त्योहार भी मनाया जाता है। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह चैत्र के आगमन का प्रतीक है और इसे भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस पावन दिन, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे मनचाही मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा पर क्या करें
कैसे करें पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
भगवान विष्णु को गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, धूप और दीप अर्पित करें।
विष्णु सहस्त्रनाम या भागवत गीता का पाठ करें।
आरती करें और भगवान विष्णु से मनचाही मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।
दान: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप भोजन, कपड़े, दवाएं या अन्य आवश्यक वस्तुएं दान कर सकते हैं। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत: कुछ भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
कैसे करें भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
इन बातों का रखें ध्यान
पूजा करते समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
दान करते समय मन में दया और उदारता का भाव होना चाहिए।
व्रत रखने के दौरान मन पर नियंत्रण रखें और क्रोध, लोभ, मोह आदि नकारात्मक भावों से दूर रहें।
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