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कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को ऐसे करें प्रसन्न
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उदया तिथि के अनुसार, इस साल कामिका एकादशी का व्रत 4 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा और उसी दिन जगत के पालनहार परमेश्वर श्री भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाएगी। इस व्रत के महत्व को धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था। सभी एकादशियों में नारायण के समान फल देने की शक्ति होती है।इस व्रत को करने के बाद और कोई पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती। श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसका नाम 'कामिका' है उसके स्मरण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु के आराध्य श्री शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य श्री विष्णु,ऐसे में श्रावण मास में आने वाली कामिका एकादशी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। कामिका एकादशी सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली और मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति दिलाने वाली है।
अनेक नामों से करें भगवान विष्णु का स्मरण
शेषनाग शैया पर क्षीरसागर में निवास करने वाले कमल, शंख,चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्री नारायण, श्रीधर,हरि,विष्णु,माधव और मधुसूदन आदि नामों से श्रद्धा भाव से पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी के व्रत का पालन दशमी से ही शुरू हो जाता है। इस दिन से ही व्रत रखने वाले को सात्विक भोजन करना चाहिए और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाता है उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं। एकादशी के दिन सुबह स्नान करके विष्णु भगवान की पूजा धूप,दीप,फल,फूल एवं नैवेद्य से करना अति उत्तम फल प्रदान करता है।
पूजन में तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें। लाल मणि,मोती, मूंगे आदि अमूल्य रत्नों से पूजित होकर भी भगवान विष्णु वैसे संतुष्ट नहीं होते जैसे तुलसीदल से पूजित होने पर होते हैं। श्री केशव की पूजा तुलसी की मंजरियों से करने पर प्राणी के जन्मभर के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान विष्णु के मन्त्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का यथासंभव जप करें एवं शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य रात्रि में जागरण करके न तो कभी यमराज का दर्शन करता है और न ही कभी उसे नरकगामी होना पड़ता है। व्रत रखने वाले को एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।
कामिका एकादशी व्रत से मिलता है पुण्य
कामिका एकादशी का व्रत वही पुण्य प्रदान करता है जो पूरी धरती दान करने से होता है।इस दिन श्री हरि के पूजन से जो फल मिलता है वह गंगा,काशी,नैमिषारण्य तथा पुष्कर क्षेत्र में भी सुलभ नहीं है।जो ब्यायी हुई गाय को अन्यान्य सामग्रियों सहित दान करता है,उस मनुष्य को जिस फल की प्राप्ति होती है वही कामिका एकादशी का व्रत करने वाले को फल प्राप्त होता है।जो मनुष्य शिव के प्रिय श्रावण मास में भगवान श्रीधर का पूजन करता है उसके द्वारा गंधर्वों और नागों सहित सम्पूर्ण देवताओं की पूजा हो जाती है।यह एकादशी स्वर्गलोक तथा महान पुण्यफल प्रदान करने वाली है।जो मनुष्य श्रद्धा के साथ इसकी महिमा का श्रवण करता है वह सब पापों से मुक्त हो श्री विष्णु लोक में जाता है।