धर्म-अध्यात्म

फाल्गुन प्रदोष व्रत पर शिव को ऐसे करें प्रसन्न

Tara Tandi
21 March 2024 3:02 PM GMT
फाल्गुन प्रदोष व्रत पर शिव को ऐसे करें प्रसन्न
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ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आता है। अभी फाल्गुन मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत है जो कि शिव साधना को समर्पित होता है इस दौरान भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है साथ ही कष्ट भी दूर हो जाते हैं
इस बार फाल्गुन मास का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च दिन शुक्रवार यानी कल किया जाएगा। ऐसे में इस दिन शिव पूजन के दौरान ही अगर शिव शंकर की प्रिय आरती का पाठ किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं जिससे जीवन के सारे दुख संकट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान भोलेनाथ की संपूर्ण आरती पाठ।
भगवान शिव की आरती—
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
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