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- सोम प्रदोष पर इस तरह...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदोष का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन को समर्पित है। इस दिन शिव भक्त निष्ठा पूर्वक भगवान शिव का व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। अश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत 04 अक्टूबर को पड़ रहा है। प्रदोष व्रत के दिन सोमवार को होने के कारण सोम प्रदोष का संयोग बन रहा है। सोम प्रदोष का व्रत सभी प्रदोष व्रत में विशिष्ट स्थान रखता है। इसके साथ ही इस बार पंचांग गणना के अनुसार इसी दिन मासिक शिवरात्रि का भी व्रत और पूजन किया जाएगा। एक साथ शिवरात्रि और सोम प्रदोष का संयोग भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत शुभ है। आइए जानते हैं इस दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के कुछ विशेष उपायों के बारे में.....
1-सोम प्रदोष के दिन विधिपूर्वक व्रत रखते हुए प्रदोष काल में भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
2- जिन लोगों की कुण्डली में चंद्र दोष व्याप्त हो, उन्हें सोम प्रदोष का व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दिन शिव मंदिर में ऊँ सों सोमाय नम:। मंत्र का जाप करना चाहिए, चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
3- यदि विवाह में बाधा आ रही हो तो सोम प्रदोष के दिन शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाना चाहिए, शीघ्र ही विवाह के संयोग बनेंगे।
4- सोम प्रदोष के दिन दूध में गुड़ मिला कर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ के अवसर पैदा होते हैं।
5- अगर आप लंबे समय से किसी रोग या बीमारी से पीड़ित हैं तो सोम प्रदोष के दिन महामृत्युंजय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें। जल्द ही रोग में सुधार होने लगेगा।
6- सोम प्रदोष के दिन 21 बेल पत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय मंत्र लिख कर भगवान शिव को अर्पित करें, आपके सभी कष्ट दूर होंगे और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
7- सोम प्रदोष के दिन बैल को हरी घास का चारा खिलाने से घर में सुख- समृद्धि का आगमन होता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'