धर्म-अध्यात्म

Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण करने की परंपरा है, तपर्ण के समय इससे जुड़े मंत्र का जाप

Tulsi Rao
25 Sep 2021 5:34 PM GMT
Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण करने की परंपरा है, तपर्ण के समय इससे जुड़े मंत्र का जाप
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पितर को जलांजलि दे रहें हैं. उससे जुड़े मन्त्रों का ही उच्चारण करना चाहिए. माता –पिता और दादा –दादी से जुड़े मंत्र नीचे दिए गए हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Pitru Paksha 2021: पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण करने का पक्ष पितृपक्ष 21 सितंबर से शुरू चुका है. पितरों को तर्पण अर्थात जलांजलि देते समय नीचे दिए गए मंत्रों को जरूर बोलना चाहिए. जिस पितर को जलांजलि दे रहें हैं. उससे जुड़े मन्त्रों का ही उच्चारण करना चाहिए. माता –पिता और दादा –दादी से जुड़े मंत्र नीचे दिए गए हैं

पिता जी को तर्पण करते समय पढ़ें यह मंत्र
पिता जी को तर्पण करने के पहले एक बर्तन में गंगा जल या अन्य जल में दूध, तिल और जौ मिलाकर रखें, इसके बाद अंजलि में जल लेकर तीन बार पिता को जलांजलि दें. जल देते समय अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः.
माता जी के तर्पण के लिए मंत्र
जलांजलि देते समय अपने गोत्र का नाम लेते हुए (गोत्र का नाम) कहें -गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः.
दादा जी के तर्पण के लिए मंत्र
दादा जी को जलांजलि देते समय अपने गोत्र का नाम लेते हुए बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः.
दादी के तर्पण में जल देने का मंत्र
दादी जी को जलांजलि देते समय अपने गोत्र का नाम लेते हुए बोलें- गोत्रे पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
पितृ गायत्री मंत्र
यदि आप उपरोक्त मन्त्रों को पढ़ने में असमर्थ हैं तो आप अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी पढ़ सकते हैं. इसके अलावा पितृ गायत्री मंत्र पढ़ने से भी पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और वे हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
पितृ गायत्री मंत्र:
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्.
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:.
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्.


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