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पिठोरी अमावस्या, जानें तिथि, पूजा नियम और महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाद्रपद अमावस्या को पिठौरी अमावस्या कहा जाता है। इस साल पिठौरी अमावस्या 7 सितंबर 2021, सोमवार को मनाई जाएगी। इस अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुशाग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों को पितृ दोष लगता है। उनके घर में कोई मांगलिक कार्य नहीं हो पाता है। संतान के विकास में बाधा आती है। साथ ही घर में क्लेश की स्थिति बनी रहती है। संतान उत्पत्ति में रुकावट होती है। कार्यक्षेत्र में रुकावटें आने लगती हैं। व्यापार, नौकरी आदि में उन्नति नहीं हो पाती है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए अमावस्या का दिन उत्तम माना जाता है।
पिठौरी अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 6 सितंबर 2021 को शाम 07 बजकर 40 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2021 को शाम 06 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी
अमावस्या की पूजा विधि
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
अमावस्या का महत्व
अमावस्या को पितरों का तर्पण करने से घर में सुख-शांति आती हैं। यह अमावस्या भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने का भी प्रावधान है। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन दान करने का भी बहुत महत्व माना गया है। गरीबों को दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। भादप्रद अमावस्या के दिन किसी नदी के तट पर जाकर पितृ तर्पण करना चाहिए। उसके बाद गरीबों को भोजन करवाना चाहिए, और दान करना चाहिए। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। नौकरी और कार्य क्षेत्र में उन्नति होती है। संतान सुख प्राप्त होता है। घर और परिवार के सदस्यों की सेहत सही रहती हैं मान-सम्मान में वृद्धि होती है।