धर्म-अध्यात्म

रमा एकादशी के दिन करें लक्ष्मी रमणा की आरती, आप से प्रसन्न होगें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी

Subhi
31 Oct 2021 3:21 AM GMT
रमा एकादशी के दिन करें लक्ष्मी रमणा की आरती, आप से प्रसन्न होगें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी
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कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है।

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। उनके नाम से ही इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के लक्ष्मी रमणा रूप का पूजन करना चाहिए। माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का पूजन विशेष फल दायी होता है। रमा एकादशी का व्रत इस साल 01 नवंबर, दिन सोमवार को रखा जाएगा। रमा एकादशी पर पूजन के अंत में भगवान विष्णु के लक्ष्मी रमणा रूप की आरती करें। ऐसा करने श्री हरी विष्णु और माता दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जय श्री लक्ष्मी रमणा आरती

जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रतन जड़ित सिंहासन,

अदभुत छवि राजे ।

नारद करत नीराजन,

घंटा वन बाजे ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भए कलिकारण,

द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर,

कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठोरो,

जिन पर कृपा करी ।

चंद्रचूड़ एक राजा,

तिनकी विपत्ति हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो,

श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भाग्यो प्रभुजी,

फिर स्तुति किन्ही ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भव भक्ति के कारण,

छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण किन्ही,

तिनको काज सरो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा,

बन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हो,

दीन दयालु हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढत प्रसाद सवायो,

कदली फल मेवा ।

धूप-दीप-तुलसी से,

राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायणजी की आरती,

जो कोई नर गावे ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,

सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

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