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इस साल गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) 09 जून गुरुवार को है. पृथ्वी लोक पर मां गंगा के अवतरण होने की तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं.
इस साल गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) 09 जून गुरुवार को है. पृथ्वी लोक पर मां गंगा के अवतरण होने की तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, उस समय हस्त नक्षत्र था. गंगा दशहरा के अवसर पर भगवान शिव की नगरी काशी, हरिद्वार, त्रिवेणी संगम प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर आदि स्थानों पर मां गंगा की पूजा की जाती है और स्नान दान किया जाता है. इस अवसर पर गंगा आरती (Ganga Aarti) होती है. आज आपको गंगा आरती और उसकी विधि के बारे में बताते हैं.
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव कहते हैं कि राजा भगीरथ के महान तप के कारण ही पृथ्वीवासियों को मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है. उन्होंने अपने 60 हजार से अधिक पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा पृथ्वी पर आईं. गंगा दशहरा पर स्नान दान का जितना महत्व है, उतना ही यह अवसर आपको जल संरक्षण और उसकी पवित्रता को बनाए रखने का भी संदेश देता है.
गंगा आरती
ओम जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ओम जय गंगे माता…
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ओम जय गंगे माता…
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ओम जय गंगे माता…
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ओम जय गंगे माता…
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ओम जय गंगे माता…
कर्पूरगौरं मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
गंगा आरती की विधि
गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की आरती करते हैं. इसके लिए पत्ते वाले एक दोने में फूल और दीपक रखते हैं. घी के दीपक को जलाते हैं. फिर मां गंगा को प्रणाम करके उनकी आरती उतारते हैं, उसके पश्चात उस दीप और फूल को मां गंगा के चरणों में अर्पित कर देते हैं.
Ritisha Jaiswal
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