धर्म-अध्यात्म

मोती का सीधा संबंध मां से होता है, बच्चे के जन्म पर ननिहाल से आता है मोती और चांदी का चंद्रमा

Tulsi Rao
6 Jun 2022 11:24 AM GMT
मोती का सीधा संबंध मां से होता है, बच्चे के जन्म पर ननिहाल से आता है मोती और चांदी का चंद्रमा
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। How to wear Pearl in Hindi: कुंडली में यदि आपका चंद्रमा कमजोर है और आपको किसी ज्योतिषाचार्य ने इसे मजबूत करने के लिए मोती पहनने की सलाह दी है और आपने उसे उनके द्वारा बताए शुभ मुहूर्त में उसकी विधि विधान से पूजन करने के बाद धारण कर लिया है, फिर भी उसका पूरा लाभ आपको नहीं मिल पा रहा है तो समझ लीजिए कि फल प्राप्त करने के लिए अभी आपको कुछ और उपाय करने की जरूरत है. इस लेख में हम बात करेंगे चंद्रमा और मोती की. आइए जानते हैं कि मोती का संबंध परिवार में किस रिश्ते से है, कहीं ऐसा तो नहीं कि आप उस रिश्ते को उपेक्षा कर रहे हैं और रत्न धारण करने के बाद पूरा लाभ चाहते हैं.

मोती का सीधा संबंध मां से होता है
चंद्रमा को मजबूत करने के लिए मोती धारण कराया जाता है और मोती का सीधा संबंध मां से होता है. मां तो ममता की मूर्ति होती है, कहते हैं मां के पैरों में ही स्वर्ग है. इसलिए मां का सम्मान करने और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कहा जाता है. दरअसल चंद्रमा मन को कंट्रोल करता है, मन का स्वभाव चंचल होता है और इसलिए उसे कंट्रोल करना भी जरूरी है. चंद्रमा को मजबूत करने के लिए मोती रत्न को धारण कराया जाता है किंतु यदि आपने मोती धारण करने के बाद भी मां को खुश नहीं किया तो रत्न का पूरा लाभ नहीं मिलेगा.
बच्चे के जन्म पर ननिहाल से आता है मोती और चांदी का चंद्रमा
परिवारों की परम्परा, रस्म-रिवाज के लिहाज से बात करें तो बच्चे का जन्म होने पर उसके ननिहाल से चांदी का चंद्रमा और मोती भेजा जाता है जिसे बच्चा धारण करता है. यह परंपरा इसीलिए है क्योंकि चंद्रमा का रिश्ता मां से होता है.
सैलरी मिलने पर मां के हाथों में रखें
अपनी मां का सम्मान करें तो चंद्रमा स्वाभाविक रूप से मजबूत होने लगेगा. मोती धारण करने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब उनकी इज्जत करेंगे. सामान्यतः देखने में आता है कि बेटे का विवाह होने के बाद मां को इग्नोर किया जाने लगता है या उनकी उपेक्षा होने लगती है. यह ठीक नहीं है उनका दिल नहीं दुखाना है, शादी के बाद मां प्रायरिटी लिस्ट में पीछे हो जाती हैं. यह घातक स्थिति है.
आज भी वही घर सुख संपत्ति से परिपूर्ण हैं जहां घर के लड़के सैलरी लाकर मां के हाथ में रख देते हैं या उसका कुछ अंश उन्हें दे देते हैं. कारोबार करने वाले अपने लाभांश का कुछ भाग मां के हाथ में रखते हैं. ऐसे में घर में सुख समृद्धि बरसती रहती है. मां को खुश करने से दैवीय कृपा होती है, उनकी सेवा करने से सभी देवियों की कृपा प्राप्त होती है.
मां की गोद में सिर रखने से मिलती है शांति
चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मां से कनेक्ट होने पर मन को शांति मिलती है, मां की गोद में सिर रख कर बैठ जाने से बहुत शांति मिलती है, मन में यदि किसी प्रकार का भटकाव है तो वह स्थिर हो जाता है.
दुर्भाग्य से यदि मां संसार में नहीं हैं तो ...
दुर्भाग्य वश यदि किसी की मां जीवित नहीं हैं तो उनके लिए दूसरा उपाय है. हम धरती को भी मां ही मानते हैं इसलिए यदि उनकी गोद में यानी जमीन पर सोएं तो सबसे अच्छा है किंतु यदि ऐसा न संभव हो तो सुबह सोकर उठने के बाद धरती को हाथों से स्पर्श कर माथे से लगाना चाहिए. फ्लैट में रहते हैं तो कहीं जाने के लिए तैयार होकर नीचे उतरने के बाद जहां भी धरती मिले उन पर पैर रखने के पहले चरण स्पर्श करें. मां तुल्य महिलाओं का आदर करें.


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