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बातों का विशेष ध्यान
प्राचीन समय से समय से ही मनुष्य का संबंध रत्नों से रहा है। हीरा माणिक्य पन्ना नीलम पुखराज गोमेद तथा लहसुनिया आगीपासून रत्न है जबकि मोती सीप के अंदर समुद्र में रहता है। मूंगा भी समुंद्र में रहने वाले पोलिप्स नामक जीव की अस्थियों से निर्मित होता है। प्रत्येक रत्न व्यक्ति को अलग अलग रूप से प्रभावित करता है। अतः उनको धारण करने से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
1. रत्न कहीं से टूटा हुआ ना हो। किसी का पहना हुआ ना हो।बदरंग न हो।
2. रत्न असली हो खरीदते समय अनुभवी रत्न विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
3. रत्न से संबंधित मंत्र के शुद्ध उच्चारण से विधि पूर्वक उसे जागृत करके ही धारण करना चाहिए।
4. पहने हुए रत्न को बार-बार नहीं उतारना चाहिए।
5. रत्न धारण करने के पश्चात यदि वह कार्य नहीं कर रहा है तो पुनः शुद्धिकरण करके धारण करना चाहिए।
6. रत्न को गुणवत्ता के आधार पर धारण करना चाहिए।
7. चोरी किया हुआ है, कीमत न चुकाया हुआ, रास्ते में प्राप्त और किसी अनजान व्यक्ति उसे लिया हुआ रत्न कष्टकारक होता है।
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