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धर्म-अध्यात्म
पवनपुत्र हनुमान युगों-युगों से पृथ्वी पर मौजूद हैं, जानें शक्ति के पुंज श्री हनुमान जी से जुड़े रोचक तथ्य
Bhumika Sahu
3 Nov 2021 6:30 AM GMT

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भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले श्री हनुमान जी गुणों की खान हैं. एक छलांग में समुद्र को लांघने से लेकर संजीवनी बूटी के लिए पूरा पर्वत ही उठा लाने वाले हनुमान जी के जीवन से जुड़े तमाम रोचक तथ्य को जानने के जरूर पढ़ें ये लेख.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अष्टसिद्धि व नवनिधि के दाता माने जाने वाले राम भक्त हनुमान की साधना-आराधना कुमति को समाप्त करके, सुमति को प्रदान करने वाली है. आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन श्री हनुमान जी की जयंती मनाई जा रही है. बल, बुद्धि और विद्या के सागर माने जाने वाले हनुमान जी कथाएं चमत्कार से भरी हुई हैं. सप्तचिरंजीवी में से एक हनुमान जी के बारे में माना जाता है कि वह प्रत्येक युग में पृथ्वी पर मौजूद रहते हैं. आइए संकटमोचक श्री हनुमान जी से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
हनुमान जी के जन्म की कथा
श्री हनुमान जी को भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार माना जाता है. मान्यता है कि हनुमान जी की माता एक अप्सरा थीं, जिन्हें एक ऋषि से श्राप मिला था कि जब कभी भी वे किसी से प्रेम करेंगी तो उनका मुंह वानर के समान हो जाएगा. इसके बाद इस श्राप से मुक्ति के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें पृथ्वी पर मानव रूप में जन्म लेने का रास्ता बताया. इसके बाद उन्होंने पृथ्वी पर जन्म लिया और उनका विवाह वानरों के राजा केसरी के साथ हुआ. भगवान शिव की अनन्य भक्त अंजना की भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान उन्हे दिया और ग्यारहवें रुद्रावतार के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए.
भाईयों में सबसे बड़े थे हनुमान जी
हनुमानजी कुल छह भाई थे. जिनमें मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान शामिल थे. इन पांच भाईयों में श्री हनुमान जी सबसे बड़े थे.
कैसे हुआ हनुमान जी के पुत्र का जन्म
हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, ऐस में उनके पुत्र की बात भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है. मान्यता मकरध्वज नाम के उनके पुत्र का जन्म मछली के पेट से हुआ था. कहते हैं कि जब श्री हनुमान जी लंका दहन करके अपनी पूंछ समुद्र में बुझाने गये तभी उनके पसीने की एक बूंद गिरने पर उसे एक मछली ने निगल लिया था और इसी पसीने की एक बूंद से मकरध्वज का जन्म हुआ था.
हनुमानजी ने भी लिखी थी रामायण
आज भले ही हम श्री राम की कथा से जुड़ी महर्षि वाल्मिकी रामायण और तुलसीदास जी की लिखी श्रीरामचरितमानस के बारे में जानते हों लेकिन इससे पहले श्री हनुमान जी ने भगवान श्री राम के गुणों का बखान करने वाली रामायण की रचना कर दी थी. जब हिमालय पर्वत की शिलाओं में लिखी रामायण को वाल्मिकी जी ने देखा तो वे बहुत दु:खी हुए थे कि हनुमान जी की लिखी रामायण के आगे उनकी रामायण को कोई नहीं पूछेगा. महर्षि वाल्मिकी के इस कष्ट को जानते ही श्री हनुमानजी ने इसे तुरंत मिटा दिया था.
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