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Paush month : सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को महत्वपूर्ण बताया गया है लेकिन पौष मास खास होता है जो कि हिंदू पंचांग का 10वां महीना माना जाता है जिसकी शुरूआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से हो जाती है। पौष माह को पूस का महीना भी कहा जाता है और इस माह …
Paush month : सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को महत्वपूर्ण बताया गया है लेकिन पौष मास खास होता है जो कि हिंदू पंचांग का 10वां महीना माना जाता है जिसकी शुरूआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से हो जाती है। पौष माह को पूस का महीना भी कहा जाता है और इस माह में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। लेकिन इस माह पूजा पाठ और तप जप करना लाभकारी माना जाता है।
मान्यता है कि पौष मास में अगर देवी देवताओं, भगवान सूर्यदेव व पितरों की पूजा की जाए तो घर में खुशहाली और जीवन में मान सम्मान, धन की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पौष माह से जुड़ी जानकारी से आपको अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पौष माह की तिथि—
पंचांग के अनुसार पौष माह का आरंभ 27 दिसंबर 2023 दिन बुधवार से हो रहा है पौष माह को छोटा पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है मान्यता है कि इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अगर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाए तो पितरों का आशीर्वाद मिलता है साथ ही जन्म मरण के बंधन से भी मुक्ति मिल जाती हैं।
पौष माह में क्या करें क्या नहीं—
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पौष माह में रोजाना तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल पुष्प मिलाकर ऊं सूर्याय नम: इस मंत्र का जाप करते हुए सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए ऐसा करने से सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है और तेज बढत्रता है। इसके साथ ही पौष माह में रविवार के दिन उपवास करें और भगवान सूर्यदेव को तिल, चावल की खिचड़ी और गुड़ अर्पित करें ऐसा करने से निरोगी काया का आशीर्वाद मिलता है।
पौष माह की अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा, एकादशी के दिन विशेष तौर पर पितरों की पूजा कर उनका श्राद्ध तर्पण करें। ऐसा करने से कालसर्प दोष व पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। लेकिन भूलकर भी इस माह में तला भोजन मेवा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने गुड़, लौंग और अजवाइन का सेवन अच्छा माना जाता है इससे सेहत बेहतर बनी रहती है इसके साथ ही मांस मदिरा आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
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