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धर्म-अध्यात्म
पौष माह शुरू, पौष माह में कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से नहीं, जाने
Bhumika Sahu
21 Dec 2021 5:08 AM GMT
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पौष माह में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है. लेकिन पूजा पाठ के लिहाज से ये महीना बहुत शुभ माना गया है. जानिए इस महीने में किन किन नियमों का पालन करना जरूरी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 20 दिसंबर 2021 से पौष का महीना शुरू हो चुका है और ये 17 जनवरी 2022 तक चलेगा. इस माह की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इस महीने को पौष और पूस के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार ये साल का दसवां महीना होता है. पौष के महीने में सूर्यदेव और नारायण की उपासना को बेहद प्रभावी माना जाता है. इस माह में सूर्यदेव की उपासना भग नाम से की जाती है.
इसके अलावा पौष का महीना पितरों की मुक्ति दिलाने वाला माह कहा जाता है. पौष माह में पिंडदान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पौष के महीने में पितरों के निमित्त पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे सीधे वैकुंठ की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. इसीलिए इस महीने को मिनी पितृ पक्ष भी माना जाता है. हालांकि इस माह में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है. जानिए ऐसा क्यों होता है और पौष के महीने में किन नियमों का पालन करना चाहिए.
इसलिए नहीं होते मांगलिक कार्य
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही पौष का महीना शुरू हो जाता है. ऐसे में सूर्य का प्रभाव धरती पर कम हो जाता है और इस कारण दिन छोटे और रात बड़ी होती है. चूंकि सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति कहा गया है, ऐसे में सूर्य की इस अवस्था का विपरीत असर अन्य ग्रहों और नक्षत्रों पर भी पड़ता है. इसलिए पौष के महीने में सूर्य को मलीन माना गया है और इस महीने को खरमास व मलमास कहा जाता है. इसी वजह से पौष के महीने में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है. मकर राशि के दिन मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और इसी के साथ शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है और मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते हैं.
पौष के महीने में जरूर करें ये काम
– इस माह में सूर्यदेव को नियमित रूप से अर्घ्य देना चाहिए. अर्घ्य के दौरान जल में रोली, अक्षत, गुड़ और लाल पुष्प आदि डालें. अर्घ्य देते समय 'ॐ आदित्याय नमः' मंत्र बोलें.
– इस माह को नारायण की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसे में गीता का पाठ करें, विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें और नारायण के मंत्रों का जाप करें.
– गायत्री मंत्र का जाप भी पौष माह में काफी उपयोगी माना जाता है. गायत्री मंत्र के जाप से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.
– पवित्र नदियों में स्नान, पूजन और दान के लिहाज से ये महीना बहुत पुण्यदायी है. ऐसा करने से कई गुणा फल की प्राप्ति होती है. वामन पुराण के अनुसार पौष माह में ग्रह, अन्न आदि का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
– सूर्य का प्रभाव कम होने की वजह से पौष के महीने में सर्दी अपने जोरों पर होती है, ऐसे में गुड़, तिल, अजवाइन, लौंग, अदरक, मेवे आदि का सेवन करना चाहिए.
इन कार्यों को भूलकर भी न करें
– पौष के महीने को शादी विवाह और सगाई आदि कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता, इसलिए ऐसे शुभ काम इस माह में नहीं करने चाहिए. यहां तक कि शादी की चर्चा भी नहीं करनी चाहिए.
– गृह प्रवेश, भूमि पूजन, हवन, ग्रह प्रवेश, व्यापार महूर्त, देव पूजन, मुडंन और जनेऊ संस्कार आदि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
– पौष के महीने में मूली, फूल गोभी, बैंगन, उड़द और मसूर की दाल, मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
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