धर्म-अध्यात्म

Parvati Stuti: कुंवारी लड़कियां कल हरियाली तीज पर जरूर करें ये आसान उपाय

Tara Tandi
6 Aug 2024 1:09 PM GMT
Parvati Stuti: कुंवारी लड़कियां कल हरियाली तीज पर जरूर करें ये आसान उपाय
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Parvati Stuti ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में सावन महीने में कई सारे पर्व पड़ते हैं जिनका अपना महत्व होता है लेकिन हरियाली तीज को बेहद ही खास माना गया जाता है जो कि शादीशुदा महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए अहम होता है इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखकर पूजा पाठ करती है माना जाता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है
इस साल हरियाली तीज का पर्व 7 अगस्त दिन बुधवार यानी की कल मनाया जाएगा। इस दिन कुंवारी कन्याएं पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर कुछ आसान उपायों को करें तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर शिव पार्वती की विधिवत पूजा करें साथ ही देवी पार्वती की स्तुति गाकर माता को प्रसन्न करें मान्यता है कि ऐसा करने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
माता पार्वती की स्तुति—
जय -जय गिरिवर राज किशोरी। जय महेश मुख चन्द चकोरी।।
जय गजबदन षडाननमाता। जगत जननी दामिनी दुति गाता।।
नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।।
भव भव विभव पराभव कारिनि। विश्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।।
पति देवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस् सारदा सेष।।
सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारी पिआरी।।
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहीं के ।।
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं। अस कहि चरन गहे बैदेही ।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसकानी ।।
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहिं मनकामना तुम्हारी।।
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरू मिलिहि जाहिं मनु राचा।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरू सहज सुंदर साँवरो ।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ।।
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ।।
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाय कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ।।
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