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धर्म-अध्यात्म
14 मई को है परशुराम जयंती, जानें इसके पौराणिक कथा
Ritisha Jaiswal
10 May 2021 10:33 AM GMT
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वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार परशुराम जी भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठवें अवतार थे और महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे. इस बार परशुराम जयंती 14 मई 2021 को मनाई जाएगी.
परशुराम भगवान को लेकर एक मान्यता ये भी है कि वे सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं और आज भी धरती पर विद्यमान हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परशुराम के जन्म के समय उनका नाम राम रखा गया था. फिर कैसे वे राम से परशुराम बन गए? जानते हैं भगवान परशुराम से जुड़ी रोचक बातें.
ऐसे नाम पड़ा परशुराम
भगवान परशुराम के जन्म के समय उनका नाम 'राम' रखा गया था. पिता जमदग्नि के आदेश पर राम बड़े होकर महादेव की तपस्या करने के लिए हिमालय पर गए. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें कई शस्त्र दिए थे, जिसमें से एक फरसा था. फरसा को परशु भी कहा जाता है. इस फरसे को धारण करने के बाद से उन्हें राम की जगह परशुराम कहा जाने लगा
सीता के स्वयंवर के दौरान राम से मिले थे परशुराम
माता सीता के स्वयंवर के दौरान ऐसा पहली बार हुआ था जब विष्णु जी अपने दो स्वरूपों, राम और परशुराम के रूप में आमने सामने आए थे और दोनों की मुलकात हुई थी.
गणपति का एक दांत तोड़ा
परशुराम बहुत क्रोधी स्वभाव के थे. एक बार वे भगवान शिव से मिलने गए. तब भगवान शिव साधना में लीन थे. लिहाजा गणपति ने उन्हें शिव जी से मिलने से रोक दिया. इससे वे इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने शिव जी के दिए फरसे से गणेश जी पर प्रहार कर दिया. इस वार को झेलने के लिए गणपति ने अपना दांत आगे कर दिया. इस तरह गणेश जी का एक दांत टूट गया और उन्हें संसार में एकदंत कहा जाने लगा.
राम ने तोड़ा था घमंड
एक बार परशुराम जी अयोध्या गए तो तो राजा दशरथ ने भगवान श्रीराम को उन्हें महल तक लाने के लिए भेजा. परशुराम जी ने श्रीराम के पराक्रम के बारे में सुना था तो उन्होंने भगवान राम की परीक्षा लेनी चाही और भगवान राम को दिव्य धनुष देकर कहा, इसकी प्रत्यंचा चढ़ाकर दिखाओ. राम जी ने ऐसा कर दिया. इसके बाद उन्होंने राम जी को एक दिव्य बाण दिया और उसे धनुष पर चढ़ाने के लिए कहा. श्रीराम ने ये भी कर दिया. ऐसा देखकर परशुराम आश्चर्यचकित हो गए. तब प्रभु श्रीराम ने उन्हें दिव्य दृष्टि दी और अपने असली स्वरूप के दर्शन दिए. इसके बाद उन्होंने दिव्य बाण से परशुराम जी के तप के घमंड को चूर किया.
Ritisha Jaiswal
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