धर्म-अध्यात्म

Papankusha Ekadashi 2020: 27 अक्तूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत, जानें मुहूर्त और व्रत विधि

Deepa Sahu
25 Oct 2020 2:43 PM GMT
Papankusha Ekadashi 2020: 27 अक्तूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत, जानें मुहूर्त और व्रत विधि
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पापांकुशा एकादशी व्रत 27 अक्तूबर को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Papankusha Ekadashi 2020 Date: पापांकुशा एकादशी व्रत 27 अक्तूबर को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से तप के समान फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत का मुहूर्त, व्रत और महत्व।

एकादशी तिथि और व्रत पारण समय

एकादशी तिथि आरंभ- 26 अक्तूबर 2020 सुबह 09:00 बजे

एकादशी तिथि समापन- 27 अक्तूबर 2020 सुबह 10:46 बजे

व्रत पारण समय और तिथि- 28 अक्तूबर 2020 सुबह 06:30 बजे से लेकर सुबह 08:44 बजे तक

द्वादशी तिथि समाप्त- 28 अक्तूबर 12:54 PM

एकादशी व्रत विधि (Parma Ekadashi vrat vidhi)

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

इसके बाद अपने पितरों का श्राद्ध करें।

भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करें।

ब्राह्मण को फलाहार का भोजन करवायें और उन्हें दक्षिणा दें।

इस दिन परम एकादशी व्रत कथा सुनें।

एकादशी व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में खोलें।

पापांकुशा एकादशी का महत्व

भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, एकादशी पाप का निरोध करती है अर्थात पाप कर्मों से रक्षा करती है। इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा तथा ब्राह्मणों को दान व दक्षिणा देना चाहिए। इस दिन सिर्फ फलाहार ही किया जाता है। इससे शरीर स्वस्थ व मन प्रफुल्लित रहता है।

पापाकुंशा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहुत क्रूर बहेलिया रहा करता था। उसने अपना पूरा जीवन हिंसा, झूठ, छल-कपट और मदिरापान जैसे बुरे कर्म करते हुए व्यतीत कर दिया। जब उसका अंत समय आया तो यमराज ने अपने दूतों को बहेलिया के प्राण हरण करने की आज्ञा दी। जिसके बाद दूतों ने उससे कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है।

मृत्यु का समय निकट देखकर बहेलिया भयभीत हो गया। वह बहेलिया महर्षि अंगिरा की शरण में जा पहुंचा। उसने महर्षि से प्रार्थना की तब उन्होंने उस पर दया भाव दिखाते हुए, उससे पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। तब इस व्रत को करने से बहेलिए के पाप नष्ट हुए और ईश्वर की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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