धर्म-अध्यात्म

एक ही रात में पांडवों ने बनाया था ये मंदिर, जानिए इसके तथ्य

Triveni
3 Jan 2021 10:19 AM GMT
एक ही रात में पांडवों ने बनाया था ये मंदिर, जानिए  इसके तथ्य
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आपने कई मंदिरों के बारे में सुना होगा। इन मंदिरों का निर्माण कब और कैसे हुआ यह हम आपको समय-समय पर बता सकते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आपने कई मंदिरों के बारे में सुना होगा। इन मंदिरों का निर्माण कब और कैसे हुआ यह हम आपको समय-समय पर बता सकते हैं। इसी तरह आज हम आपके लिए एक और मंदिर के निर्माण गाथा लाए हैं। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र में मुंबई के पास स्थित अंबरनाथ मंदिर की। यह मंदिर शहर के अंबरनाथ शहर में स्थित है। इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

मंदिर में एक शिलालेख मौजूद है जिसमें लिखा है कि यह मंदिर 1060 ईं में राजा मांबाणि द्वारा बनाया गया था। इसे पांडवकालीन मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस जैसा मंदिर पूरे विश्व में नहीं है। मान्यता है कि इस मंदिर के पास कई ऐसे नैसर्गिक चमत्कार हैं जिसके चलते इसकी मान्यता बढ़ जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में...
जानें इस मंदिर के शिवलिंग के बारे में:
इस मंदर में एक अद्वितीय स्थापत्य कला शामिल है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर के बाहर दो नंदी बैल बने हुए हैं। मंदिर के बाहर इसके प्रवेश द्वार पर तीन मुखमंडप हैं। यहां एक सभामंडप मौजूद है जिसकी 9 सीढ़ियों के नीचे गर्भगृह स्थित है। मंदिर की मुख्य शिवलिंग त्रैमस्ति की है। इनके घुटने पर एक नारी है जो शिव-पार्वती के रूप को दर्शाती है। इसके शीर्ष भाग पर शिवजी नृत्य मुद्रा में नजर आते हैं।
इस मंदिर की वास्तुकला बेहद शानदार है। इसे देखने देश-विदेश से कई लोग आते हैं। मंदिर की बाहर की दीवारें शिव जी के अनेक रूपों से सुसज्जित हैं। यहां पर गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मू्होंने र्तियां भी मौजूद हैं। साथ ही देवी दुर्गा की मूर्ति भी सुसज्जित है। मां दुर्गा को असुरों का नाश करते हुए भी दिखाया गया है।
पांडवों ने बनाया था यह मंदिर:
ऐसा कहा जाता है कि एक अज्ञातवास के दौरान कुछ वर्ष पांडवों ने अंबरनाथ में बिताए थे। इस दौरान उन्होंने विशाल पत्थरों से एक ही रात में मंदिर का निर्माण किया था। लेकिन पांडवों का पीछा लगातार कौरव कर रहे थे फिर भय के चलते उन्हें यह स्थान छोड़कर जाना पड़ा।
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