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धर्म-अध्यात्म
17 जून 2022 का पंचांग: संकष्टी चतुर्थी आज, सुख और सर्वार्थसिद्धि का होगा शुभ योग
Bhumika Sahu
17 Jun 2022 4:09 AM GMT
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ज्योतिष शास्त्र बहुत ही विशाल है। इसकी कई शाखाएं भी हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन ज्योतिष शास्त्र बहुत ही विशाल है। इसकी कई शाखाएं भी हैं, जिनके बारे में जानना और समझना बहुत ही मुश्किल है। इन सभी को संक्षिप्त रूप में पंचांग में समाहित किया गया है। पंचांग में वो सभी जानकारी आसानी से मिल जाती है, जो हमारे लिए जरूरी है। वैसे तो हमारे देश में कई तरह के पंचांग प्रचलित है, लेकिन उन सभी में विक्रम पंचांग प्रमुख है। ज्योतिष के माध्यम के ही हमें ग्रह-नक्षत्रों की पूरी जानकारी प्राप्त होती है और शुभ-अशुभ मुहूर्त आदि के बारे में पता लगता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है। जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
आज किया जाएगा कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत कहा जाता है। इस बार ये व्रत 17 जून, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है और व्रत भी किया जाता है। रात को चंद्रमा के उदय होने के बाद अर्घ्य देने पर ये व्रत पूर्ण होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी व्रत पर सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से परेशानियां दूर होती हैं।
17 जून का पंचांग (Aaj Ka Panchang 17 June 2022)
17 जून 2022, दिन शुक्रवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सुबह 06.11 तक रहेगी, इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन सूर्योदय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 02.18 तक रहेगा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग और इसके बाद श्रवण नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल सुबह 10:47 से दोपहर 12:27 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को चंद्रमा मकर राशि में, सूर्य मिथुन राशि में, बुध वृषभ राशि में, राहु और शुक्र मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।
17 जून के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- कृष्ण
दिन- शुक्रवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- उत्तराषाढ़ा और श्रवण
करण- बव और बालव
सूर्योदय - 05:45 AM
सूर्यास्त - 07:10 PM
चन्द्रोदय - 10:27 PM
चन्द्रास्त - 09:35 AM
अभिजीत मुहूर्त - 12:00 PM से 12:54 PM
17 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 3:49 PM – 5:29 PM
कुलिक - 7:25 AM – 9:06 AM
दुर्मुहूर्त - 08:26 AM – 09:19 AM और 12:54 PM – 01:48 PM
वर्ज्यम् - 01:33 PM – 03:00 PM
21वां नक्षत्र है उत्तराषाढ़ा, सूर्य हैं इसके स्वामी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उत्तराषाढ़ा आकाश मंडल का 21वां नक्षत्र है। इसके स्वामी सूर्यदेव हैं। पूर्वाषाढ़ा हाथी का बायां दांत है तो उत्तराषाढ़ा को दायां दांत मानते हैं। दस विश्वदेवों को उत्तराषाढ़ा का अधिपति देवता माना गया है। इसका प्रथम चरण भे नाम से धनुराशि में आता है। सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक भी है। अग्नि तत्व व राशि भी अग्नि तत्व होने से इसका प्रभाव व्यक्ति पर ग्रह स्थितिनुसार अधिक पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति पढ़ाई में अव्वल रहता है और इसी से अपने भविष्य का निर्माण भी करता है। इस नक्षत्र में लोग राजनीति, जज, आईएएस ऑफिसर, सीए आदि क्षेत्र में सफल होते हैं।
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