धर्म-अध्यात्म

कुंभ राशि में शनि के जाने से बन रहा पंच महापुरुष योग

Rani Sahu
9 May 2022 3:49 PM GMT
कुंभ राशि में शनि के जाने से बन रहा पंच महापुरुष योग
x
"जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल" शनिदेव वर्तमान में कुंभ राशि में गोचर करते हुए ऐसी लोकोक्ति को चरितार्थ करने जा रहे हैं

"जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल" शनिदेव वर्तमान में कुंभ राशि में गोचर करते हुए ऐसी लोकोक्ति को चरितार्थ करने जा रहे हैं क्योंकि न्यायाधीश शनि देव अपनी राशि कुंभ में गोचर आरंभ करके संपूर्ण चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करने जा रहे हैं ।अर्थात व्यक्ति का कर्म जैसा होगा उसी प्रकार का फल उसे प्राप्त होता है। ग्रहों में फल प्रदायक ग्रह कोई और नहीं अपितु शनि देव ही है । व्यक्ति के कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं यदि व्यक्ति अपने जीवन में शुभ कर्म करता है तो उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वही व्यक्ति जब गलत कर्म करता है तो उसे अपनी साढ़ेसाती, ढैया या महादशा में कर्म के अनुसार फल और प्रदान अवश्य करते हैं। शनिदेव की तीन स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जब ये नीच राशि मेष मे होते हैं, जब तुला राशि में गोचर करते हैं तथा जब ये अपनी राशि मकर व कुम्भ में होते है। मूल कुंडली में जिस स्थिति में होते हैं उसी प्रकार का फल प्रदान करते हैं वर्तमान में 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार से अपनी पहली राशि मकर से दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश कर गए है। ऐसे में लगभग 30 माह तक मार्गी एवं वक्री गति से गोचर करते हुए अपना प्रभाव चराचर जगत पर स्थापित करेंगे इसी क्रम में कुम्भ एवं मीन लग्न एवं राशि को किस प्रकार प्रभावित करेंगे विस्तृत रूप से जानेंगे।

कुम्भ :- कुंभ लग्न एवं राशि वालों के लिए शनि देव लग्नेश एवं राशि के स्वामी होने के कारण शुभ फलदायक के रूप में कार्य करते हैं। यद्यपि कि व्यय के कारक भी हैं फिर भी लग्नेश होने के कारण शुभ फल प्रदायक के रूप में ही साबित होते हैं। ऐसे में लग्न में ही स्वराशि के होकर गोचर करने कर रहे हैं ऐसे में शश नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा। अतः अपना संपूर्ण फल प्रदान करने में सफल होंगे । मनोबल में वृद्धि , स्वास्थ्य में वृद्धि, विचारों में वृद्धि, उत्साह में वृद्धि के साथ-साथ जीवन चर्या में भी सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगा । व्ययेश होने के कारण स्वास्थ्य पर थोड़ा सा खर्च भी कराएंगे फिर भी पुरानी समस्याओं से निजात दिलाने के कारण यह गोचर शुभ फल प्रदायक ही साबित होगा। तीसरी दृष्टि मेष राशि पराक्रम भाव पर होगा। परिणाम स्वरूप भाई बंधुओं मित्रों को कष्ट या इनके द्वारा कष्ट भी हो सकता है। पराक्रम में वृद्धि ,सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के भी योग अच्छे बनेंगे । सप्तम दृष्टि दांपत्य भाव पर होने के कारण दांपत्य सुख में थोड़ा सा तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। प्रेम संबंधों में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साझेदारी में परिवर्तन या तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में सोच समझकर साझेदारी करें एवं दांपत्य जीवन में विवाद करने से बचे रहें। दैनिक आय में भी परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं।लग्नेश होने के कारण ज्यादा नकारात्मक फल नहीं प्रदान करते हुए शुभ फलों में सकारात्मकता ही प्रदान करेंगे। दसवीं दृष्टि राज्य भाव दशम भाव पर होगा लग्नेश की दशम भाव पर दृष्टि प्रगति कारक होती है । कार्यक्षेत्र में परिवर्तन कार्यस्थल पर उत्साह का वातावरण बनेगा। कार्य क्षमता में बहुत अच्छी वृद्धि होगी नौकरी या व्यवसाय के लिए प्रयासरत लोगों के लिए नए अवसर का संयोग बनेगा । पिता पक्ष का सहयोग प्राप्त होगा । परिश्रम में वृद्धि होगी । नेतृत्व क्षमता में वृद्धि के संकेत अच्छे दिख रहे हैं। मूल कुंडली के अनुसार शनिदेव का उपाय शुभ फल प्रदायक होगा। हनुमान जी की पूजा आराधना इस अवधि में शुभ फल कारक साबित होगा।
मीन :- मीन लग्न एवं मीन राशि वालों के लिए शनि देव का परिवर्तन व्यय भाव में हुआ है । मीन लग्न एवं मीन राशि के लिए शनि देव आय एवं खर्च दोनों की कारक होने के कारण ज्यादा शुभ फल प्रदायक नही माने जाते हैं। फिर भी लाभेश होने के कारण व्यापारिक गतिविधियों में सकारात्मक प्रगति भी कराते हैं। इनका परिवर्तन कुंभ राशि व्यय भाव पर होगा । व्ययेश का व्यय भाव में होना विपरीत राजयोग का निर्माण भी कराता है। अतः यहाँ गोचर कर रहे शनि देव व्यापारिक गतिविधियों को लेकर के खर्च भी करा सकते हैं। व्यापारिक विस्तार भी कराएंगे, बड़ी यात्राओं , दूरस्थ यात्राओं पर खर्च भी कराएंगे। आंखों की समस्या को लेकर के भी तनाव उत्पन्न कर सकते हैं। द्वादश भाव में बैठे शनि देव की तृतीय दृष्टि धन भाव मेष राशि पर नीच की होगी । ऐसे में वाणी में तीव्रता, पारिवारिक कार्यों को लेकर उलझन की स्थिति । दांत व गले की समस्या भी उत्पन्न हो सकता है । वाणी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए समय थोड़ा सा प्रतिकूल प्रतीत होगा । अचानक से खर्च में बढ़ोतरी हो सकता है। शनि देव की अगली दृष्टि सप्तम दृष्टि रोग कर्ज एवं शत्रु के भाव पर होगा। ऐसे में रोग से मुक्ति, पुराने रोगों का इलाज सफल होगा । शत्रु पर विजय प्राप्त होगा । पुराना चल रहा विवाद भी समाप्त होगा। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी समय अनुकूल बना रहेगा । परंतु पेट व पैर की समस्या से तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकता है। शनिदेव की दसवीं दृष्टि भाग्य भाव वृश्चिक राशि पर होगा । ऐसे में भाग्य में सामान्य अवरोध का वातावरण बन सकता है। कार्यों में सामान्य देरी हो सकता है। पिता का स्वास्थ्य खराब हो सकता है अतः सावधान रहने की आवश्यकता है। पैतृक संपत्ति को लेकर भी तनाव उत्पन्न हो सकता है। इस प्रकार मीन लग्न अथवा मीन राशि वालों के लिए शनिदेव का परिवर्तन सामान्य फल प्रदायक ही होगा । यदि मूल कुंडली में इनकी स्थिति ठीक नहीं है तो नकारात्मक फल ज्यादा हो जाएगा। खर्च में बढ़ोतरी मानसिक चिंता, कार्यों में अवरोध, पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता आदि की समस्या बना रह सकता है। शनिवार के दिन श्री हनुमान जी महाराज के मंदिर में जाकर काला तिल और गुड़ का लड्डू बनाकर चढ़ावें एवं गरीबों में बांट दें।


Next Story