धर्म-अध्यात्म

उत्तराखंड के चारधाम में से तीन धाम के कपाट हुए बंद, तब तक भक्त सिर्फ बद्रीनाथ के ही कर सकते हैं दर्शन

Nilmani Pal
16 Nov 2020 1:57 PM GMT
उत्तराखंड के चारधाम में से तीन धाम के कपाट हुए बंद, तब तक भक्त सिर्फ बद्रीनाथ के ही कर सकते हैं दर्शन
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इस साल केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या सबसे कम रही। कोरोना महामारी के कारण महज 1.35 लाख लोग ही यहां पहुंचे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज से उत्तराखंड के दो धाम केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। रविवार को गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद हुए थे। इस तरह चार में से तीन धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। चौथे धाम बद्रीनाथ के कपाट 19 तारीख को बंद होंगे। तब तक भक्त बद्रीनाथ के दर्शन कर सकते हैं। इस साल केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या सबसे कम रही। कोरोना महामारी के कारण महज 1.35 लाख लोग ही यहां पहुंचे, जबकि 2019 में 9.5 लाख लोग आए थे।

केदारनाथ और यमुनोत्री में सोमवार सुबह से ही बर्फबारी हो रही है। केदारनाथ मंदिर सुबह 3 बजे खुल गया था। यहां मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने भगवान की समाधि पूजा की। 6.30 बजे भगवान भैरवनाथजी को साक्षी मानकर गर्भगृह को बंद किया गया और 8.30 बजे सभा मंडप, मुख्य द्वार बंद कर दिए गए हैं। दोपहर में यमुनोत्री धाम के कपाट भी विशेष पूजा के बाद बंद किए गए।


इस साल 1 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों ने किए केदारनाथ में दर्शन

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस साल 1 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए हैं। आज सुबह कपाट बंद होने के बाद भगवान की डोली रामपुर के लिए रवाना हुई। 17 नवंबर को भगवान की डोली (पालकी), गुप्तकाशी, विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। 18 तारीख को उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पहुंच जाएगी। इसके बाद केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं इसी मंदिर में की जाएंगी।

यमुनोत्री के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली खरसाली पहुंचती है। खरसाली को मां यमुना का मायका कहा जाता है। ठंड के दिनों में यमुनाजी यहीं वास करती हैं। भक्तों द्वारा माता की शीतकालीन पूजा खरसाली में ही की जाती है। इस साल करीब हजार लोगों ने यमुनोत्री धाम में दर्शन किए हैं।


अन्य मंदिरों की कपाट बंद होने की स्थिति

बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर की शाम 3.35 बजे बंद होंगे। द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर के कपाट 19 की सुबह 7 बजे बंद हो रहे हैं। मध्यमहेश्वर मेला 22 को आयोजित होगा। तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भी बंद हो चुके हैं।

2013 की त्रासदी के बाद सबसे कम श्रद्धालु इस साल पहुंचे

2013 में केदारनाथ में हुई जल त्रासदी के बाद यहां श्रद्धालुओं की संख्या एकदम कम हुई थी। 2014 में महज 40 हजार लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे। 2015 में ये संख्या बढ़कर 1.54 लाख हुई थी। 2016 में 3.30 लाख, 2017 में 4.71 लाख और 2018 में 7.32 लाख श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे थे। 2019 में ये आंकड़ा अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। इस साल 9.50 लाख लोग यहां आए। 2020 में कोरोना काल में ही केदारनाथ के पट खुले थे। लेकिन, अगस्त तक दर्शन पूरी तरह बंद थे। इस कारण यहां तीन महीनों में महज 1.35 लाख लोग ही पहुंचे, इनमें भी स्थानीय लोगों की संख्या ज्यादा रही।

हर साल वैशाख मास में खुलते हैं केदारनाथ के कपाट

केदारनाथ उत्तराखंड के 4 धामों में तीसरा है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचाई पर बना ग्यारहवां मंदिर है। मंदिर 3,581 मीटर की ऊंचाई पर और गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर है। हर साल महाशिवरात्रि पर मंदिर के कपाट खोलने की तिथि तय होती है। आमतौर पर वैशाख महीने में, यानी मार्च-अप्रैल में, मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। इसके बाद करीब 6 महीने तक दर्शन और यात्रा चलती है। कार्तिक माह में, यानी अक्टूबर-नवंबर में, फिर कपाट बंद हो जाते हैं।



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