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धर्म-अध्यात्म
बल से ज्यादा बुद्धि का प्रयोग करने वाले ही जंग जीते करे उपाए
Tara Tandi
27 Aug 2023 12:40 PM GMT
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बल से ज्यादा बुद्धि का प्रयोग करने वाले ही जंग जीते करे उपाए
कहा जाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा पल आता है, जब वह सही-गलत की पहचान करना भूल जाता है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि उस व्यक्ति को समझ नहीं आता कि उसे करना क्या चाहिए। जीवन में अधिकतर समस्याओं के अंबार लगे होते हैं। समस्या निवारण के लिए कुछ लोग तो भरपूर संघर्ष करते हैं और अपनी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन कुछ अपनी समस्याओं को हल करने का सरल और अद्भुत तरीका खोज लेते हैं। समस्याओं के निदान का यह तरीका उन्हें पाखंड की दुनिया में ले जाता है।
मंदिरों में समस्या का हल न मिलने पर व्यक्ति सीधे पहुंचता है ईश्वर के दूत कहे जाने वाले और खुद को सिद्ध पुरुष बताने वाले पाखंडी इंसानों के पास। महान और सिद्ध पुरुष कहलवाने वाले अपने चारों ओर के वातावरण में अपने खास चेलों के साथ मिल कर इस प्रकार का जाल बुनते हैं जिसमें आने वाला इंसान फंसता चला जाता है और वहां से निकलने की राह आसान नहीं होती। कुछ ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो बारह राशियों में करोड़ों इंसानों का भविष्य तय कर देते हैं। भविष्य वक्ता तो अपने भविष्य को सुधार कर मजे करते हैं और प्रार्थी हिसाब लगाता रहता है कि कब उनकी समस्याओं का निवारण होगा।
पाखंड की दुकान चलाने वाले लूट-लूट कर इतने धनवान हो चुके हैं कि उनके खिलाफ समाज में कोई जाने की हिम्मत नहीं करता। अपने कार्यों की असफलता और किसी विशेष समस्या से पीड़ित जब ईश्वर और उसके प्रतिनिधियों और साधु-संतों के कार्यों और आशीर्वादों से संतुष्ट नहीं हो पाता तो वह तांत्रिकों की शरण में पहुंचता है। और वह कथित तांत्रिक आने वाले को कुछ ऐसी बातें बताकर या कोई ऐसा कार्य दिखाकर आकर्षित करता है जिसके कारण उन्हें चमत्कारी समझकर पीड़ित व्यक्ति उनके जाल में फंसता जाता है। इनका जाल बहुत मजबूत होता है, जो किसी को भी मूर्ख बना सकता है। सोचिए, यदि तांत्रिक के पास कोई शक्ति होती जिससे वह दूसरों की समस्या का निवारण कर सकता, तो वह सबसे पहले अपना जीवन संवारता। मनुष्य की आस्था जब अंधविश्वास बन जाए तो सिर्फ विनाश होता है।
भगवान कभी नहीं कहते के मेरे लिए भूखे रहो, मेरे लिए सुबह-सुबह ठंडे पानी से नहाओ, बिना चप्पल के गर्मियों में मेरे मंदिर तक आओ। भगवान अपने भक्त से सिर्फ आस्था की कामना करते हैं। वर्तमान समय में लोगों ने भगवान को भगवान रहने नहीं दिया है। भगवान के नाम पर लोगों ने व्यापार शुरू कर दिया है।
संसार में अपनी समस्याओं को अपनी बुद्धि और बाहुबल से ही समाप्त किया जा सकता है। व्यक्ति का साहस, लगन और आत्म विश्वास ही सभी समस्याओं का निवारण है। हमारी पूरी शक्ति दूसरे से प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। दूसरे की खुशी हमें ज्यादा प्रभावित करती है और कहीं न कहीं ईर्ष्या की भावना व्याप्त हो जाती है। जरूरी है खुद से प्रतिस्पर्धा करें, न कि औरों से। सहयोग की भावना रखें। किसी व्यक्ति से मिलें, तो उसकी विशेषताओं, सद्गुणों का अनुकरण करने की कोशिश करें। इससे आपके दोष अपने आप दूर होते जाएंगे, जैसे पेड़ के सूखे पत्ते अपने आप झड़ जाते हैं। गीता में भगवान कृष्ण भी कहते हैं, जीवन का हर दांव जीतना है तो बल से ज्यादा बुद्धि का उपयोग करो। विवेकशील बनिए, स्वविवेक का इस्तेमाल अवश्य कीजिए।
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