धर्म-अध्यात्म

राधा दामोदर मंदिर के शिला की परिक्रमा करने से मिलता है गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का पुण्य

Apurva Srivastav
1 Jun 2021 8:26 AM GMT
राधा दामोदर मंदिर के शिला की परिक्रमा करने से मिलता है गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का पुण्य
x
मंदिर में स्थापित गिरिराज शिला का भी बहुत महत्व है।

गोकुल-वृंदावन की रज-रज कृष्ण की लीलाओं से व्याप्त है। उनकी लीलाओं में से एक लीला का गवाह है राधा दामोदर मंदिर। यह मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से तो बहुत भव्य नहीं है, लेकिन इसकी धार्मिक मान्यता बहुत अधिक है। यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है। राधा दामोदर मंदिर में भगवान कृष्ण की जो प्रतिमा है, वह रूप गोस्वामी ने पूजा-अर्चना और सेवा के लिए अपने शिष्य जीव गोस्वामी जी को दी थी। मंदिर में स्थापित गिरिराज शिला का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि इसकी चार बार परिक्रमा कर लेने से गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का पुण्य मिलता है।

जीव गोस्वामी ने राधा दामोदर मंदिर की स्थापना सन् 1542 में माघ शुक्ल दशमी को की। मंदिर के केंद्रीय विग्रह में कृष्ण जी की बायीं ओर राधा जी हैं और दायीं ओर ललिता सखी। मुगल काल में औरंगजेब के आतंक से राधा दामोदर की प्रतिमा को जयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। सन् 1739 में उन्हें फिर से वृंदावन में स्थापित कर दिया गया। मंदिर में विभिन्न गोस्वामियों की आराध्य राधा कृष्ण की कई प्रतिमाएं हैं। साथ ही रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी, कृष्णदास कविराज गोस्वामी और भूगर्भ गोस्वामी की समाधियां हैं। यहां इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपाद स्वामी जी की कुटी भी है। मंदिर के पिछले हिस्से में एक गौशाला है।
मंदिर में एक शिला की भी बहुत मान्यता है। इसे गिरिराज चरण शिला कहा जाता है। बताया जाता है कि चैतन्य महाप्रभु के निर्देश पर 1516 में रूप गोस्वामी के साथ वृंदावन आए सनातन गोस्वामी प्रतिदिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते थे। वृद्ध हो जाने पर उन्हें विशाल गोवर्धन परिक्रमा में बड़ा कष्ट होता था। उनके कष्टों से द्रवित होकर भगवान कृष्ण प्रकट हुए और गोवर्धन पर्वत की एक शिला पर अपने पैरों के चिह्न, गाय के खुर, मुरली और अपनी छड़ी के चिह्न अंकित कर शिला सनातन गोस्वामी को दी और कहा कि इसकी चार बार परिक्रमा गोवर्धन की परिक्रमा के समान होगी। इसीलिए मंदिर आने वाले दर्शनार्थी मंदिर की चार बार परिक्रमा जरूर करते हैं। कैसे पहुंचें: ट्रेन से जाने के लिए पहले मथुरा पहुंचें, जो वृंदावन से करीब 15 किलोमीटर दूर है। मथुरा प्रमुख शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां से वृंदावन के लिए बस, टैक्सी, ऑटो खूब चलते हैं। वृंदावन का नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली है।


Next Story