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किस दिन मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है और मार्गशीर्ष में भी कई व्रत-त्योहार आते हैं. हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती भी मनाई जाती है जिसे कालाष्टमी भी कहा जाता है. (Kalashtami 2022 Date) इस दिन काल भैरव का पूजन किया जाता है जो कि भगवान शिव के रुद्र अवतारेां में से एक माना गया है. आइए जानते हैं कि इस माह कब है कालाष्टमी और इसका महत्व?
कालाष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी मनाई जाती है. इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत 16 नवंबर को सुबह 5 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 17 नवंबर 2022, गुरुवार को 7 बजकर 57 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार कालाष्टमी यानि काल भैरव जयंती 16 नवंबर 2022, बुधवार को मनाई जाएगी.
कालाष्टमी पूजन विधि
कालाष्टमी यानि काल भैरव जयंती के दिन काल भौरव के साथ ही मां दुर्गा का भी पूजन किया जाता है. यह पूजा अष्टमी तिथि से एक दिन पहले सप्तमी तिथि के दिन शुरू होती है. सप्तमी तिथि के दिन अर्ध रात्रि के बाद कालरात्रि देवी का पूजन किया जाता है. फिर काल भैरव जयंती के दिन काल भैरव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव के रुद्र अवतारों में से एक अवतार माना गया है.
कालाष्टमी तिथि काल भैरव के साथ भगवान शिव का पूजन करना भी बेहद शुभ और फलदायी माना गया है. इस दिन रात्रि के समय जागरण किया जाता है और भगवान की अराधना होती है. जो लोग कालाष्टमी के दिन व्रत करते हैं वह दिनभर फलाहार का सेवन करते हैं और अगले दिन व्रत का पारण करते हैं. कहते हैं कि कालाष्टमी का व्रत करने से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
कालाष्टमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी के दिन काल भैरव का व्रत और पूजन किया जाता है और इनका पूजन करने से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है. साथ ही कहते हैं कि जो लोग काल भैरव का पूजन करते हैं उन्हें हर प्रकार के रोगों से भी छुटकारा मिलता है. इसके अलावा घर में फैली नकारात्मकता समाप्त होती है. इस दिन भैवर चालीसा का पाठ करना बेहद ही फलदायी माना गया है. यह पूजा भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा दिलाती है और मनोकामनाएं पूर्ण करती है.