धर्म-अध्यात्म

इस पवित्र उपवास होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी

Tara Tandi
17 July 2021 12:07 PM GMT
इस पवित्र उपवास होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जीवन की सभी आशाओं को पूर्ण करने वाले आशा दशमी व्रत का आरंभ महाभारत काल से माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने पार्थ को इस व्रत का महत्व बताया था। यह व्रत किसी भी मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है। मान्यता है कि हर माह इस व्रत को तब तक करना चाहिए जब तक मनोकामना पूर्ण न हो जाए। इस व्रत को करने से सभी आशाएं पूर्ण हो जाती हैं।

मान्यता है कि कन्या अगर इस व्रत को करे तो श्रेष्ठ वर प्राप्त करती है। अगर किसी स्त्री का पति यात्रा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौटकर नहीं आता है तब सुहागन स्त्री इस व्रत को कर अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है। शिशु की दंतजनिक पीड़ा भी इस व्रत को करने से दूर हो जाती है। इस व्रत में श्री हरि भगवान विष्णु से शरीर को निरोग एवं स्वस्थ रखने की प्रार्थना करें। ऐसा करने से तन-मन स्वस्थ रहता है। इसी कारण इसे आरोग्य व्रत भी कहा जाता है। आशा दशमी व्रत में दशमी के दिन प्रात: नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करें। रात्रि में 10 आशा देवियों की पूजा करें। इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने वाले मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए। दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि समर्पित करना चाहिए। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करना चहिए। मान्यता है कि आशा दशमी का व्रत करने से सभी आशाएं पूर्ण हो जाती हैं। व्रत पूजा में कार्य सिद्धि के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करें।

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