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धर्म-अध्यात्म
इस दिन है अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत...जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Subhi
5 April 2021 4:15 AM GMT
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हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है
हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस महीने का पहला प्रदोष व्रत 9 अप्रैल 2021 को है. इस दिन शुक्रवार तिथि पर पड़ रही है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.
इस दिन शिव भक्त सुबह- सुबह स्नान कर भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करते हैं. कुछ लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भक्त कुछ नियमों का पालन करते हैं. इन नियमों का पालन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा संध्या समय में की जाती है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के पूजा और महत्व के बारे में.
शुभ मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ- 9 अप्रैल 2021 शुक्रवार की सुबह 3 बजकर 15 मिनट से 10 अप्रैल शनिवार सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. पूजा का शुभ मुहूर्त- 9 अप्रैल 2021 को शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत के नियम
प्रदोष व्रत के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और शिव पूजा करने के बाद व्रत करने का संकल्प लें. इस दौरान पूरा दिन व्रत रखना होता है. वहीं कुछ लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं. प्रदोष काल के दौरान एक समय फलाहार कर सकते हैं. भोजन में नमक, मिर्च का सेवन न करें.
प्रदोष व्रत का महत्व
इस बार का प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है. इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. अलग- अलग दिनों पर प्रदोष व्रत का फल उसी के अनुसार होता है. शुक्र प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान शिव , माता पार्वती और गणेश की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
भोलनाथ को चढ़ाएं ये चीजें
इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें चढ़ाएं. घी, दूध, दही, गुलाल, भांग, धतूरा, बेलपत्र, दीपक और कपूर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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