धर्म-अध्यात्म

इस दिन है विनायक चतुर्थी, जानिए इसका शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Renuka Sahu
31 May 2022 4:24 AM GMT
On this day is Vinayaka Chaturthi, know its auspicious time, importance and method of worship
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फाइल फोटो 

हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. ये तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी गई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. ये तिथि भगवान गणेश (Lord Ganesha) को समर्पित मानी गई है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि बीत चुकी है, इसी के साथ ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो गई है. इस हिसाब से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 3 जून शुक्रवार को पड़ेगी. चतुर्थी के व्रत को बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से जीवन के संकट दूर होते हैं और सुख समृद्धि का आगमन होता है. यहां जानिए विनायक चतुर्थी से जुड़ी जरूरी बातें.

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 02 जून दिन गुरुवार को देर रात 12 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 3 जून शुक्रवार को देर रात 2 बजकर 41 मिनट पर होगा. चूंकि हिंदू धर्म में ज्यादातर त्योहार उदया तिथि के हिसाब से मनाए जाते हैं, ऐसे में विनायक चतुर्थी का व्रत भी 3 जून को ही रखा जाएगा.
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि ​से निवृत्त होकर हरे या पीले रंग के वस्त्र पहनें. पूजा के स्थान की साफ सफाई करें और भगवान गणेश का ध्यान करें. गणपति के मंदिर में दीपक जलाएं. भगवान गणेश को रोली, सिंदूर, अक्षत, पुष्प, लड्डू, धूप और दीप आदि अर्पित करें. दूर्वा अर्पित करें. इसके बाद गणपति के मंत्रों का जाप करें और विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें. पूरे दिन उपवास रखें. रात में चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत खोलें.
विनायक चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को बल, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता हैं. माना जाता है कि चतुर्थी का व्रत गणपति को अत्यंत प्रिय है. जो भी भक्त इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रखता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती हैं. उसके कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, व्यक्ति को सद्बुद्धि प्राप्त होती है और घर में सुख समृद्धि आती है. शास्त्रों में इस व्रत को सभी कष्ट दूर करने वाला व्रत बताया गया है.
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