धर्म-अध्यात्म

इस दिन है रंग पंचमी, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
15 March 2022 6:12 AM GMT
इस दिन है रंग पंचमी, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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फाल्गुन मास की पूर्णिमा से शुरू हुआ होली का त्योहार चैत्र मास की पंचमी तिथि तक मनाया जाता है। इसी पंचमी तिथि को रंगपंचमी के नाम से जाना जाता है। इसे श्रीपंचमी के अलावा इसे देव पंचमी भी कहा जाना जाता है क्योंकि इस दिन देवी-देवता भी रंगोत्सव मनाते हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा से शुरू हुआ होली का त्योहार चैत्र मास की पंचमी तिथि तक मनाया जाता है। इसी पंचमी तिथि को रंगपंचमी के नाम से जाना जाता है। इसे श्रीपंचमी के अलावा इसे देव पंचमी भी कहा जाना जाता है क्योंकि इस दिन देवी-देवता भी रंगोत्सव मनाते हैं। रंगपंचमी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 17 मार्च को होगी। इसके अगले दिन यानी 18 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं इसके पांच दिन बाद यानी 22 मार्च को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। जानिए रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त और मनाने का कारण।

रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त

रंगपंचमी तिथि- 22 मार्च, मंगलवार

चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ-22 मार्च 2022, मंगलवार सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शुरू

चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि समाप्त-23 मार्च 2022, बुधवार, सुबह 04 बजकर 21 मिनट तक

रंगपंचमी मनाने का कारण

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण मां राधा के साथ होली खेली थी। इसी कारण इस दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद गुलाल आदि अर्पित करके खेला जाता है। इस दिन राधा रानी के बरसाना में मंदिरों में विशेष पूजा करने के बाद हुरियारे अबीर-गुलाल उड़ाते हैं।

वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था जिसके कारण देवलोक में उदासी छा गई थी। इसके बाद कामदेव की पत्नी देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन भगवान शिव ने दिया था तो सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

रंगपंचमी के दिन गुलाल उड़ाने की परंपरा

रंगपंचमी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है। इस दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं। माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है। इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और वह मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं। मान्यता है कि हवा में उड़ने वाली अबीर-गुलाल के संपर्क में जो व्यक्ति आ जाता है उस व्यक्ति को हर पापों से छुटकारा मिल जाता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है।


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