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धर्म-अध्यात्म
हरियाली तीज के मौके पर सोलह श्रृगांर और उसको करने की विधि, जानिए
Ritisha Jaiswal
9 Aug 2021 12:09 PM GMT
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रियाली तीज का व्रत सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | रियाली तीज का व्रत सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस साल हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। ये व्रत विशेषतौर पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से रखती हैं। इस व्रत में सोलह श्रृगांर का भी विशेष महत्व है। इस दिन माता पार्वती को सोलह श्रृगांर की सामग्री चढ़ायी जाती है तथा सुहागिन महिलाएं को स्वंय भी सोलह श्रृगांर करके पूजन करना चाहिए।ऐसा करने से माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में शुभता आती है। आइए जानते हैं क्या है सोलह श्रृगांर और उसको करने की विधि....
1- स्नान – सोलह श्रृगांर का पहला चरण स्नान है। सवसे पहले उबटन, चंदन आदि का प्रयोग करके नाहाना चहिए। इसके बाद पारंपरिक वस्त्र साड़ी या लहगां चुनरी पहना जाता है।
2- बिंदी – सोलह श्रृगांरों में दूसरा स्थान बिंदी का आता है। माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाना सुहागिन स्त्रियों के लिए शुभ माना जाता है।
3- सिंदूर – सिंदूर को हिंदू धर्म में सुहाग का प्रतीक माना जाता है। सुहागिन स्त्रियां इसे अपनी मांग में लगाती हैं।
4- काजल – आंखों का श्रृगांर पारंपरिक रूप से काजल से किया जाता है। इसे लगाने से आंखों का सुंदरता बढ़ती है तथा ये कई तरह के नेत्र विकार भी दूर करता है। नजर न लगने की दृष्टि से भी काजल भी लगाया जाता है।
5- मेंहदी – सोलह श्रृगांर में मेहंदी का भी स्थान आता है। वैसे भी सावन माह में मेंहदी लगाना शुभ माना जाता है।
6- चूड़िया –हाथों के श्रृगांर के लिए चूड़ियां पहनी जाती हैं। लाल रंग की चूड़िया पहना ज्यादा शुभ माना जाता है।
7- मंगल सूत्र – मंगल सूत्र विशेष रूप से सुहाग का प्रतीक है। इसके काले मोती बुरी नजर से बचाने के लिए तथा उसमें लगा सोने का पेंडेंट शुभता के लिए पहना जाता है।
8- नथ या नथनी – नथ या नथनी से एक और तो नाक का श्रृगांर होता है तो दूसरी और इसे बुध दोष दूर करने वाला भी माना जाता है।
9- गजरा – फूलों का बना हुआ गजरा, बालों का सौंदर्य बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। ये सुंगध भी विखेरता है।
10- मांग टीका – मांग टीका, ये बालों की मांग में बीचों-बीच पहना जाता है। इसे मंगल और शुभता का प्रतीक मना जाता है।
11- बालियां – बालियां या झुमके कानों की शोभा बढ़ाते हैं। दोनों कानों में पहनी हुई सोने की बालियां राहु-केतु दोष दूर करती हैं।
12- अंगूठी – अंगूठी हाथ की अंगुलियों में पहनी जाती है। अनामिका या रिंग फिंगर में सुहागिन स्त्रियां ही अंगूठी पहनती हैं।
13- बाजूबद – बाजूबंद आजकल प्रचलन में कम है, इसे हाथ के ऊपरी हिस्से में पहना जाता है। ये धन और समृद्धि का कारक माना जाता है।
14- करधनी – करधनी या कमरबंद इसे कमर में पहना जाता है। ये सोने या चांदी की होती है।
15- बिछिया – बिछिया पैरों की उंगलिंयों में पहनी जाती है। ये चांदी की होती है क्योंकि हिंदू धर्म में कमर के नीचे सोना पहना शुभ नहीं माना जाता है।
16- पायल – पायल या पाज़ेब इसे भी पैरों में पहना जाता है। ये भी चांदी की ही पहनी जाती है
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Ritisha Jaiswal
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