धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी न करें इन चीजों से शिव आराधना

Subhi
23 Feb 2022 2:22 AM GMT
महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी न करें इन चीजों से शिव आराधना
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मंगलवार, 01 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

मंगलवार, 01 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है, लेकिन साल के फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि बहुत ही विशेष मानी गई है। इस तिथि पर पूरे उत्साह, जोश और भक्ति भाव से महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान और माता पार्वती का विवाह इसी तिथि को संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि पर सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ एकत्रित होती है। भगवान शिव का जलाभिषेक करते हुए गंगाजल, दूध, चंदन, घी, धूप और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है। शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित करते हैं,लेकिन कई बार भूलवश ऐसी चीजें भी चढ़ाने लगते हैं,जो शास्त्रों में वर्जित माना गया है। आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा-उपासना में किन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

तुलसी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है और सभी शुभ कार्यों में इसका प्रयोग होता है, लेकिन तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है। भूलवश लोग भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती।

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे और उसकी पत्तियों का विशेष महत्व होता है। तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय और पवित्र माना गया है। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को तुलसी के पत्तों का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना गया है। तुलसी को हरिप्रिया कहा गया है। सभी तरह के पूजा-अनुष्ठानों और शुभ कार्यों में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। लेकिन भगवान शिव की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इसे वर्जित माना गया है।

तिल को भगवान शिव की पूजा-आराधना में प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से मैल के रूप में उत्पन्न हुई थी। इसी वजह से शिव पूजा में इसे प्रयोग करना वर्जित माना गया है।


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